राष्ट्र निर्माण में बाबा साहेब भीम राव अम्बेडकर का योगदान
Answers
Answer:
Explanation:
भारत रत्न डॉ. भीमराव अंबेडकर ने अपने जीवन के 65 सालों में सामाजिक, आर्थिक, राजनीतिक, शैक्षणिक, धार्मिक, ऐतिहासिक, सांस्कृतिक, साहित्यिक, औद्योगिक, संवैधानिक आदि क्षेत्रों में अनगिनत कार्य करके राष्ट्र निर्माण में महत्वपूर्ण योगदान दिया. उन्होंने कई ऐसे काम किए, जिन्हें आज भी हिंदुस्तान याद रखता है. अंबेडकर जयंती के अवसर पर जानते हैं कि उन्होंने राष्ट्र निर्माण में क्या क्या कार्य किए...
सामाजिक एवं धार्मिक योगदान
- मानवाधिकार जैसे दलितों एवं दलित आदिवासियों के मंदिर प्रवेश, पानी पीने, छुआछूत, जातिपाति, ऊंच-नीच जैसी सामाजिक कुरीतियों को मिटाने के लिए कार्य किए.
- उन्होंने मनुस्मृति दहन (1927), महाड सत्याग्रह (1928), नाशिक सत्याग्रह (1930), येवला की गर्जना (1935) जैसे आंदोलन चलाएं.
- बेजुबान, शोषित और अशिक्षित लोगों को जागरुक करने के लिए साल 1927 से 1956 के दौरान मूक नायक, बहिष्कृत भारत, समता, जनता और प्रबुद्ध भारत नामक पांच साप्ताहिक और पाक्षिक पत्र-पत्रिकाओं का संपादन किया.
- उन्होंने छात्रावास, नाइट स्कूल, ग्रंथालयों और शैक्षणिक गतिविधियों के माध्यम से कमजोर वर्गों के छात्रों को अध्ययन करने और साथ ही आय अर्जित करने के लिए उनको सक्षम बनाया. सन् 1945 में उन्होंने अपनी पीपुल्स एजुकेशन सोसायटी के जरिए मुम्बई में सिद्वार्थ महाविद्यालय तथा औरंगाबाद में मिलिन्द महाविद्यालय की स्थापना की.
हिन्दू विधेयक संहिता के जरिए महिलाओं को तलाक, संपत्ति में उत्तराधिकार आदि का प्रावधान कर उसके कार्यान्वयन के लिए संघर्ष किया.
भीमराव अंबेडकर ने सामाजिक, आर्थिक, राजनीतिक, शैक्षणिक, धार्मिक,औद्योगिक, संवैधानिक क्षेत्र में कई ऐसे कार्य किए हैं, जिन्हें भारत में हमेशा याद रखा जाएगा.
भारत रत्न डॉ. भीमराव अंबेडकर ने अपने जीवन के 65 सालों में सामाजिक, आर्थिक, राजनीतिक, शैक्षणिक, धार्मिक, ऐतिहासिक, सांस्कृतिक, साहित्यिक, औद्योगिक, संवैधानिक आदि क्षेत्रों में अनगिनत कार्य करके राष्ट्र निर्माण में महत्वपूर्ण योगदान दिया. उन्होंने कई ऐसे काम किए, जिन्हें आज भी हिंदुस्तान याद रखता है. अंबेडकर जयंती के अवसर पर जानते हैं कि उन्होंने राष्ट्र निर्माण में क्या क्या कार्य किए...
सामाजिक एवं धार्मिक योगदान
- मानवाधिकार जैसे दलितों एवं दलित आदिवासियों के मंदिर प्रवेश, पानी पीने, छुआछूत, जातिपाति, ऊंच-नीच जैसी सामाजिक कुरीतियों को मिटाने के लिए कार्य किए.
- उन्होंने मनुस्मृति दहन (1927), महाड सत्याग्रह (1928), नाशिक सत्याग्रह (1930), येवला की गर्जना (1935) जैसे आंदोलन चलाएं.
- बेजुबान, शोषित और अशिक्षित लोगों को जागरुक करने के लिए साल 1927 से 1956 के दौरान मूक नायक, बहिष्कृत भारत, समता, जनता और प्रबुद्ध भारत नामक पांच साप्ताहिक और पाक्षिक पत्र-पत्रिकाओं का संपादन किया.
- उन्होंने छात्रावास, नाइट स्कूल, ग्रंथालयों और शैक्षणिक गतिविधियों के माध्यम से कमजोर वर्गों के छात्रों को अध्ययन करने और साथ ही आय अर्जित करने के लिए उनको सक्षम बनाया. सन् 1945 में उन्होंने अपनी पीपुल्स एजुकेशन सोसायटी के जरिए मुम्बई में सिद्वार्थ महाविद्यालय तथा औरंगाबाद में मिलिन्द महाविद्यालय की स्थापना की.
हिन्दू विधेयक संहिता के जरिए महिलाओं को तलाक, संपत्ति में उत्तराधिकार आदि का प्रावधान कर उसके कार्यान्वयन के लिए संघर्ष किया.
आर्थिक, वित्तीय और प्रशासनिक योगदान
- भारत में रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया की स्थापना डॉ. अम्बेडकर की रचना 'रुपये की समस्या-उसका उद्भव और प्रभाव' और 'भारतीय चलन व बैकिंग का इतिहास' और 'हिल्टन यंग कमीशन के समक्ष उनकी साक्ष्य' के आधार पर 1935 में हुई.
I think it helps u