Hindi, asked by meeashu9635, 11 months ago

राष्ट्रीयता और अन्तर्राष्ट्रीयता "वसुधैव कुटुम्बकम" पर निबंध।

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Answered by Anonymous
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राष्ट्रीयता का अर्थ है “देश-प्रेम की उत्कृष्ट भावना”। यह भावना राजनीतिक आन्दोलन का भी रूप धारण कर लेती है, परन्तु तब जबकि देश आपदाग्रस्त हो। स्वतन्त्रता-प्राप्ति से पूर्व भारतवर्ष में भी राष्ट्रीयता की भावना को प्रचण्ड रूप से जाग्रत किया गया था। देशवासियों को देश के स्वर्णिम अतीत की स्मृति दिलाई जाती थी। प्राचीन सभ्यता की श्रेष्ठतम परम्पराओं और अपने पूर्वजों के शौर्य और युद्धों की याद दिलाकर देशवासियों के हृदय में राष्ट्रीयता की भावना को विकसित किया गया था, जिसके फलस्वरूप असंख्य भारतीयों ने वर्षों तक जेलों की असह्य यातनायें सहीं, लाठी और गोलियों के शिकार हुए, फाँसी का हँसते-हँसते आलिंगन किया, परन्तु अपने अटल ध्येय से विचलित न हुए। उनका एक ही नारा था हमको जीना होकर स्वतन्त्र हमको मरना होकर स्वतन्त्र और फिर वे बढ़े यही लौ ले कार्य पर प्रति-हिंसा का भाव नहीं। अन्त में विदेशियों को विवश होकर यहाँ से पलायन करना पड़ा।
Answered by Stylishhh
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राष्ट्रीयता का अर्थ है “देश-प्रेम की उत्कृष्ट भावना”। यह भावना राजनीतिक आन्दोलन का भी रूप धारण कर लेती है, परन्तु तब जबकि देश आपदाग्रस्त हो। स्वतन्त्रता-प्राप्ति से पूर्व भारतवर्ष में भी राष्ट्रीयता की भावना को प्रचण्ड रूप से जाग्रत किया गया था। देशवासियों को देश के स्वर्णिम अतीत की स्मृति दिलाई जाती थी। प्राचीन सभ्यता की श्रेष्ठतम परम्पराओं और अपने पूर्वजों के शौर्य और युद्धों की याद दिलाकर देशवासियों के हृदय में राष्ट्रीयता की भावना को विकसित किया गया था, जिसके फलस्वरूप असंख्य भारतीयों ने वर्षों तक जेलों की असह्य यातनायें सहीं, लाठी और गोलियों के शिकार हुए, फाँसी का हँसते-हँसते आलिंगन किया, परन्तु अपने अटल ध्येय से विचलित न हुए। उनका एक ही नारा था हमको जीना होकर स्वतन्त्र हमको मरना होकर स्वतन्त्र और फिर वे बढ़े यही लौ ले कार्य पर प्रति-हिंसा का भाव नहीं। अन्त में विदेशियों को विवश होकर यहाँ से पलायन करना पड़ा। जब किसी देश में राष्ट्रीय भावना की इतनी तीव्रगति हो तब देश की शक्ति को दासता के पाश में बाँधे नहीं रह सकते। भारतवर्ष की ही नहीं, चीन तथा इण्डोनेशिया, आदि विश्व के अनेक राष्ट्रों की इसी प्रकार की गौरवपूर्ण गाथा है। आज से लगभग ढाई सौ वर्ष पूर्व, संयुक्त राज्य अमेरिका ने भी इसी प्रकार यूरोपियन जातियों से मुक्ति प्राप्त की थी । यूरोप में राष्ट्रीयता की भावना का विकास उन्नीसवीं शताब्दी में अधिक हुआ, जिसके परिणामस्वरूप बिस्मार्क ने जर्मनी में, मैजिनी व मुसोलिनी ने इटली में एक सुसंगठित राज्य की स्थापना की। इटली ने तो अपना साम्राज्य बढ़ाने के लिए अबीसीनिया पर आक्रमण कर दिया और उसे अपने अधिकार में ले लिया। राष्ट्रीयता की उत्कृष्ट भावना को जाग्रत करने में देश के कवियों, उपन्यासकारों, संगीतज्ञों तथा ओजस्वी वक्ताओं का विशेष हाथ रहता है। उदाहरण के लिए, इटली में मैजिनी तथा जर्मनी में हीगल तथा नीत्शे का राष्ट्रीय भावना को दृढ़ करने में बहुत बड़ा सहयोग था। हमारे देश के अनेक वीरों ने राष्ट्रीयता की भवना से प्रेरित होकर ऐसे-ऐसे स्तुत्य कार्य किये हैं, जो राष्ट्रीयता की भावना बिना जाग्रत हुए नितान्त असम्भव थे। सरदार भगतसिंह, सुभाषचन्द्र बोस और चन्द्रशेखर आजाद आदि वीर ऐसे ही महापुरुषों में से हैं। सुभाषचन्द्र बोस की ‘आजाद हिन्द फौज' और उनका देश से अंग्रेजों के कारागार निकल जाना। इसी भावना के ज्वलन्त उदाहरण हैं। जिन दिनों जर्मन वायुसेना इंग्लैण्ड पर धुआंधार बम बरसा रही थी, उस द्वितीय युद्ध के भयंकर समय में अंग्रेजों की राष्ट्रीयता की भावना ही उन्हें बचा पाई थी। घोर कष्ट सहते हुए भी अंग्रेज यही कहते रहे थे कि हम आत्म-समर्पण कभी नहीं करेंगे। इंग्लैण्ड का बच्चा-बच्चा अपने देश की आन-बान की रक्षा के लिए सहर्ष अपने प्राणों का उत्सर्ग करने के लिये उत्सुक था।

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