Hindi, asked by sakshammauryakumar14, 7 months ago

रहिमन धागा प्रेम का, मति तोरो चटकाइ।
टूटे से फिर ना जुरै, जुरै गाँठ परि जाइ।।​

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Answered by shubhamkumar8137
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Answer:

अर्थ – रहीम जी कहते हैं कि क्षणिक आवेश में आकर प्रेम रुपी नाजुक धागे को कभी नहीं तोड़ना चाहिए। क्योंकि एक बार अगर धागा टूट जाये तो पहले तो जुड़ता नहीं और अगर जुड़ भी जाए तो उसमे गांठ पड़ जाती है।

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