रहिमन विपदा हूँ भली, जो थोड़े दिन होय पर 100 से 120 शब्दों में अनुच्छेद लिखें
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रहिमन विपदा हो भली, जो थोड़े दिन होय!
हित अनहित या जगत मे जानी परत सब कोय!!
रहीम दास जी का यह दोहा बचपन मे पुस्तकों मे पढ़ा था। अर्थात अगर विपत्ति कुछ समय के लिए आती है तो वह भले के लिए ही होती है और विपत्ति के समय मे दोस्त और दुश्मनों की पहचान हो जाती है। बिहार के चुनाव मे करारी हार से भाजपा के लिए भी यही सीख है। सब लोग अपने – अपने विश्लेषण कर रहे हैं की भाजपा क्यों हारी। सब के पास अपने अपने विचार और दृटिकोण है। मेरा मानना है जी जनता गलत नहीं होती। कुछ लोग कह रहे हैं की बिहार जाती वाद से ऊपर नहीं उठ सकता। जातिवाद इस देश की एक कड़वी सच्चाई है इसे नकारा नहीं जा सकता पर 2014 के चुनाव मे सारे देश ने जाती और धर्म से ऊपर उठकर भाजपा को वोट दिया था और जिसमे बिहार और उत्तर प्रदेश भी शामिल थे। यह दोनों ही प्रदेश ऐसे है जहाँ कहा जाता है जाती वाद का कुत्सित रूप देखने को मिलता है। यही दोनों प्रदेश सांप्रदायिक रूप से भी सबसे अधिक संवेदनशील प्रदेश हैं। इन दोनों प्रदेशों के विकास के बिना देश की तरक्की भी अधूरी है।
(भाजपा को सोचना होगा की बिहार जो 2014 मे भाजपा को जिता रहा था उसी बिहार ने 2015 मे क्यों हरवा दिया? वैसे मैंने अपने पहले ब्लॉग मे लिखा था की भाजपा के लिए समीकरण इस बार विरोध मे है। पर इस बड़ी हार के कारण कुछ खास हैं। इस बार बिहार मे भाजपा के खिलाफ विपक्ष एक जुट था जैसे श्रीमती गांधी के विरुद्ध 1977 मे था। नितीश, लालू और कांग्रेस तीनों का ही वजूद ख़तरे मे था। साम्यवादियों का तो पहले से ही भाजपा से छत्तीस का आंकड़ा है। कांग्रेस कमजोर होते हुए भी एक निश्चित वोट बैंक रखती है) IF U WANT TO LONG IT SO IN VRACKETS THEN ADD IN THAT....
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