raidas ki 9bhakti bhavna ki vishshtayein likhiye.HI
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रैदास की भक्ति सेवक और मालिक के समान है जिस प्रकार सेवक अपने मालिक की भक्ति करता है और अपना पूरा जीवन उस मालिक की भक्ति पे लगा देता है. वैसे ही रैदास की भक्ति करना लोग अपना धर्म मानते है , वह व्यक्ति की आंतरिक भावनाओं और आपसी भाईचारे को ही सच्चा धर्म मानते थे। उनकी भक्ति में हमें दूसरों की सहायता करनी की सीख मिलती है.ओरों के प्रति दयालु व्यवहार.
सत्संग और शब्द की कमाई के माध्यम से सत्य संदेश देकर अपने भक्तों को भक्ति का सही मार्ग और अच्छे कर्म करने की सिख देते थे.
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