Social Sciences, asked by meeradutta600, 5 hours ago

सेबा सोशल साइंस लेसन वन क्वेश्चन आंसर​

Answers

Answered by dhammalgaming5252
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Explanation:

(क) महात्मा कबीरदास का जन्म कब हुआ था?

उत्तर: सन 1398 में।

(ख) संत कबीरदास के गुरु कौन थे?

उत्तर: रामानंद।

(ग) कस्तूरी मृर्ग वन-वन में क्या खोजता फिरता है?

उत्तर: कस्तूरी नामक सुगंधित पदार्थ।

(घ) कबीरदास के अनुसार कौन पंडित है?

उत्तर: जो 'प्रेम का ढाई अक्षर' पढ़ता है।

(ङ) कवि के अनुसार हमें कल का काम कब करना चाहिए?

उत्तर: आज।

2. एक शब्द में उत्तर दो:

(क) श्रीमंत शंकरदेव ने अपने किस ग्रंथ में कबीरदास जी का उल्लेख किया है?

उत्तर: कीर्तन घोषा।

(ख) महात्मा कबीरदास का देहावसान कब हुआ था?

उत्तर: सन 1518 में।

(ग) कवि के अनुसार प्रेमविहीन शरीर कैसा होता है?

उत्तर: श्मशान की तरह।

(घ) कबीर दास जी ने गुरु को क्या कहा है?

उत्तर: कुम्हार।

(ङ) महात्मा कबीरदास की रचनाएंँ किस नाम से प्रसिद्ध हुई।

उत्तर: बीजक।

3. पूर्ण वाक्य में उत्तर दो:

(क) कबीरदास के पालक पिता-माता कौन थे?

उत्तर: कबीरदास के पालक पिता-माता थे नीरू और नीमा, जो एक मुसलमान जुलाहे दंपत्ति थे।

(ख) 'कबीर' शब्द का अर्थ क्या है?

उत्तर: 'कबीर' शब्द का अर्थ है बड़ा, महान और श्रेष्ठ।

(ग) साखी शब्द किस संस्कृत शब्द से विकसित है?

उत्तर: साखी शब्द संस्कृत शब्द 'साक्षी' से विकसित है।

(घ) साधु की कौन सी बात नहीं पूछी जानी चाहिए?

उत्तर: साधु को उसकी जाति नहीं पूछी जानी चाहिए।

(ङ) डूबने से डरने वाला व्यक्ति कहांँ बैठा रहता है?

उत्तर: डूबने से डरने वाला व्यक्ति किनारे पर बैठा रहता है।

4. अति संक्षिप्त उत्तर दो:(2-3 marks)

(क) कबीरदास जी के आराध्य कैसे थे?

उत्तर: कबीर दास जी के आराध्य निर्गुण निराकार राम थे। कबीरदास के अनुसार वे संसार के रोम-रोम में बसे हैं। जो भी व्यक्ति सच्चे मन और पवित्र हृदय से उन्हें ढूंढता है उसे पल भर में वह मिल जाते हैं।

(ख) कबीरदास जी की काव्य भाषा किन गुणों से युक्त है?

उत्तर: कबीरदास जी की काव्य भाषा बिल्कुल सरल सहज बोध गम्य एवं स्वाभाविक अलंकारों से सजी हुई है। उनकी काव्य भाषा वस्तुतः तत्कालीन हिंदुस्तानी थी। जिसे विद्वानों ने सघुक्कड़ी, पंचमेल खिचड़ी आदि कहा है। उनकी रचनाओं में ज्ञान, भक्ति आत्मा परमात्मा, माया, प्रेम आदि गंभीर विषयों से युक्त है।

(ग) 'तेरा साईं तुझ में, ज्यों पुहुपन में बास' का आशय क्या है?

उत्तर: 'तेरा साईं तुझ में, ज्यों पुहुपन में बास' का आशय है कि जिस प्रकार फूलों की खुशबू उसके अंदर ही समाई होती है। उसी प्रकार हमारे हृदय में ही ईश्वर समाये होते हैं। इसीलिए कवि का मानना है कि हमें धार्मिक स्थलों में प्रभु को ढूंढने की बजाए अपने हृदय में ईश्वर को खोजना चाहिए। अर्थात ईश्वर तो चारों ओर व्याप्त है।

(घ) 'सत गुरु' की महिमा के बारे में कवि ने क्या कहा है?

उत्तर: सतगुरु की महिमा के बारे में कवि ने कहा है कि गुरु की महिमा अनंत व अपार है। शिष्य जिस बात से अनजान थे, जिस असत्य को सत्य मानकर अंधेरे में जी रहे थे उस अंधेरे को हटाकर ज्ञान का प्रकाश दिलाना ही गुरु का दायित्व है। अर्थात शिष्यो को सही मार्ग और ज्ञानी बनाना गुरु का कर्तव्य है।

(ङ) 'अंतर हाथ सहार दे, बाहर बाहै चोट' का तात्पर्य बताओ।

उत्तर: 'अंतर हाथ सहार दे, बाहर बाहै चोट' का अर्थ है कि जिस प्रकार कुम्हार एक घड़ा गढ़ते वक्त अपने कोमल हाथों से अंदर के भाग को सहारा देता है, तो कभी बाहरी भाग को ठीक करने के लिए अपने दूसरे हाथ को कठोर कर प्रहार भी करता है। ठीक उसी प्रकार गुरु भी अपने शिष्य को उनके दोष बताकर उनकी भलाई के लिए नरम स्वभाव से कठोर भी होना पड़ता है।

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