सुभद्रा कुमारी चौहान लक्ष्मीबाई को ‘मर्दानी’ क्यों कहती हैं?
Class 6 NCERT Hindi Chapter ‘झाँसी की रानी’
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लक्ष्मीबाई एक स्त्री होते हुए भी पुरुषों के समान वीरता, साहस के गुणों से युक्त थी।लक्ष्मी बाई मर्दों के समान युद्ध कला में निपुण थे। वे पुरुषों के भेष में उन्हीं के समान युद्ध में भाग लेती थी ।वे आदमियों के समान ही अस्त्र शस्त्र चलाने में कुशल थी। लक्ष्मीबाई साहस और वीरता में भी मर्दों से कम नहीं थी। वह बचपन से ही वीर एवं निडर थी। वह युद्ध क्षेत्र में किसी भी पुरुष को हराने में सक्षम थी। लक्ष्मीबाई का पूरा व्यवहार पुरुषों के समान ही था। झांसी के शासन की बागडोर के राजा के मृत्यु के बाद उन्हीं के हाथ में थी और मर्दों के समान विशेषताओं के कारण हैं सुभद्रा कुमारी चौहान लक्ष्मीबाई को मर्दानी कहां है।
आशा है कि यह उत्तर आपकी मदद करेगा।।।
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hay!!
Dear friend -
मर्दानी का सामान्य अर्थ है मर्दों की तरह रानी अर्थात इस शब्द से हमें यह ज्ञात होता है कि रानी लक्ष्मीबाई मर्दों के रूप में एक औरत थी जो कि मर्दों की तरह लड़ने में सकुशल थी उन्हें तलवारबाजी में काफी अभ्यास था और उन्होंने कभी हारना नहीं सीखा वे अपने अस्त्र-शस्त्रों को आदमियों की भांति प्रयोग करती थी जिस तरह से एक मर्द दो मर्दों से लड़ सकता है उसी तरह रानी लक्ष्मीबाई अकेले दो मर्दों से लड़ा करते थे झांसी की रानी के पति का देहांत होने के बाद झांसी का शासन उन्हीं के हाथ में सौंपा गया इसीलिए सुभद्रा कुमारी चौहान ने झांसी की रानी को मर्दानी कहा है इसी पर एक कविता विख्यात है
बुंदेलों हरबोलों के मुंह हमने सुनी कहानी थी
खूब लड़ी मर्दानी वो तो झांसी वाली रानी थी
इसका मतलब है कि वहां के बुंदेलखंड के लोगों ने भी रानी के बारे में बहुत सी कहानियां अपने बच्चों को सुनाते थे और इसी को सुभद्रा कुमारी चौहान ने कविता के रूप में प्रस्तुत किया है
आशा करते हैं या आंसर आपकी मदद करेगा
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मर्दानी का सामान्य अर्थ है मर्दों की तरह रानी अर्थात इस शब्द से हमें यह ज्ञात होता है कि रानी लक्ष्मीबाई मर्दों के रूप में एक औरत थी जो कि मर्दों की तरह लड़ने में सकुशल थी उन्हें तलवारबाजी में काफी अभ्यास था और उन्होंने कभी हारना नहीं सीखा वे अपने अस्त्र-शस्त्रों को आदमियों की भांति प्रयोग करती थी जिस तरह से एक मर्द दो मर्दों से लड़ सकता है उसी तरह रानी लक्ष्मीबाई अकेले दो मर्दों से लड़ा करते थे झांसी की रानी के पति का देहांत होने के बाद झांसी का शासन उन्हीं के हाथ में सौंपा गया इसीलिए सुभद्रा कुमारी चौहान ने झांसी की रानी को मर्दानी कहा है इसी पर एक कविता विख्यात है
बुंदेलों हरबोलों के मुंह हमने सुनी कहानी थी
खूब लड़ी मर्दानी वो तो झांसी वाली रानी थी
इसका मतलब है कि वहां के बुंदेलखंड के लोगों ने भी रानी के बारे में बहुत सी कहानियां अपने बच्चों को सुनाते थे और इसी को सुभद्रा कुमारी चौहान ने कविता के रूप में प्रस्तुत किया है
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