History, asked by alpanabhardwaj93, 7 months ago

सांची के स्तूप का आधुनिक रूप किस प्रकार मिला है​

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Answered by 01aryasonwalkar
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Explanation:

QUESTION : सांची के स्तूप का आधुनिक रूप किस प्रकार मिला है

ANSWER : शूंग के समय में सांची में और इसकी पहाडियों के आस पास अनेक मुख द्वार तैयार किए गए थे। यहां अशोक स्‍तूप पत्‍थरों से बड़ा बनाया गया और इसे बालू स्‍ट्रेड, सीढियों और ऊपर हर्मिका से सजाया गया। चालीस मंदिरों का पुन: निर्माण और दो स्‍तूपों को खड़ा करने का कार्य भी इसी अवधि में किया गया। पहली शताब्‍दी बी. सी.

सांची, जिसे काकानाया, काकानावा, काकानाडाबोटा तथा बोटा श्री पर्वत के नाम से प्राचीन समय में जाना जाता था और अब यह मध्‍य प्रदेश राज्‍य में स्थित है। यह ऐतिहासिक तथा पुरातात्विक महत्‍व वाला एक धार्मिक स्‍थान है। सांची अपने स्‍तूपों, एक चट्टान से बने अशोक स्‍तंभ, मंदिरों, मठों तथा तीसरी शताब्‍दी बी. सी. से 12वीं शताब्‍दी ए. बी. के बीच लिखे गए शिला लेखों की संपदा के लिए विश्‍व भर में प्रसिद्ध है।

सांची के स्‍तूप अपने प्रवेश द्वारा के लिए उल्‍लेखनीय है, इनमें बुद्ध के जीवन से ली गई घटनाओं और उनके पिछले जन्‍म की बातों का सजावटी चित्रण है। जातक कथाओं में इन्‍हें बोधि सत्‍व के नाम से वर्णित किया गया है। यहां गौतम बुद्ध को संकेतों द्वारा निरुपित किया गया है जैसे कि पहिया, जो उनकी शिक्षाओं को दर्शाता है।

Answered by mad210218
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साँची का स्तूप

Explanation:

  • सांची का स्तूप बौद्ध वास्तुकला और मूर्तिकला के विकास का एक अच्छा उदाहरण है।
  • तीसरी शताब्दी ईसा पूर्व से बारहवीं शताब्दी ईस्वी तक, यह संभवतः मुरयान साम्राज्य द्वारा शुरू किया गया था।
  • सांची के स्थल की खोज जनरल टेलर ने वर्ष 1818 में की थी।
  • इसमें स्तम्भों पर संतों की मूर्तियाँ और प्रारंभिक सदियों की गुफाएँ हैं, यह बलुआ पत्थर से निर्मित है।
  • वे बौद्ध धर्म के प्रतीक थे।
  • यह संतों और उपदेशों का प्रतीक था।

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