संहति: श्रेयसीपुंसाम अथवा "विद्यया बुद्धिरउत्तमा" कथया: सार: एकपृष्ठेन हिन्दीभाषायां लिखित।
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संहति: श्रेयसीपुंसाम
एक समय की बात है। एक पेड़ पर चिड़िया रहती थी समय के अनुसार उसकी संतान हुई उसने उस पेड़ पर घोसले में दो अंडे दिए।एक बार मदमस्त हाथी ने उस पेड़ के नीचे आकर उस पेड़ की शाखा को अपनी सूंड से तोड़ दिया जिस कारण चिड़िया का घोंसला पृथ्वी पर गिर गया और उसके अंडे टूट गए। संतान के नष्ट होने से चिड़िया विलाप करने लगी। उसके बिल आपको सुनकर काष्टकुट नाम के एक पक्षी ने उससे दुख पूर्वक पूछा हे भली चिड़िया तुम क्यों रो रही हो?
चिड़िया ने उसको सारी कहानी बताई और बोला कि इस हाथी के बाद से ही मेरा दुख दूर होगा। काष्टकूट ने कहा मेरी भी बिना रवा नाम की एक मक्खी मित्र है उसके पास चलते हैं। उन दोनों ने मक्खी को सारा वृत्तांत बताया। मक्खी ने कहा मेघनाद नाम का एक मेंढक मेरा मित्र है वहां चलते हैं जैसा उचित होगा वैसा करेंगे।
मच्छी ने सारी कहानी मेघनाथ को बताई। मेघनाद ने कहा यदि हम सब मिलकर के काम करेंगे तो उस हाथी की मृत्यु निश्चित है अब जैसा मैं कहता हूं तुम सब वैसा करना। मेघनाथ ने कहा दोपहर के समय मक्खी उस हाथी के कान में शब्द करेगी जिससे वह अपनी आंखें बंद कर लेगा। तभी काष्तकूट उसकी आंखों को पड़ेगा जिस कारण वह अंधा हो जाएगा। प्यास से व्याकुल को पनी पीने के लिए वह जलाशय की तरफ आएगा। रास्ते में बड़े-बड़े गड्ढे हैं मैं गड्ढे में बैठकर शब्द करूंगा जिस कारण हुए समझेगा यह तालाब है और वह गड्ढे में गिर कर मर जाएगा। उन्होंने योजनाबद्ध तरीके से काम किया और हाथी को गड्ढे में गिरा दिया और वह मर गया।
शिक्षा-> छोटे-छोटे निर्बलों का समूह भी कठिनता से जीता जा सकता है।