सामाजिक मूल्यों के क्या नियम होते हैं?
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सामाजिक मूल्यों के नियम
प्रत्येक समाज के अंतर्गत कुछ एेसे मूल्य होते हैं, जो उस समाज के सदस्यों के जीवन के मुख्य उद्देश्य होते हैं। समाज यह नहीं चाहता कि उसका मूल्य टूटे या बिखरे। कुछ समाजों के मूल्य यह कहते हैं कि चाहे जितनी भी मुसीबतें आएं हमें अहिंसा के रास्ते पर चलना चाहिए। कुछ सामाजिक मूल्य यह कहते हैं कि अपने धर्म प्रचार प्रसार के लिए यदि हमें तलवार या बंदूक उठाने की भी जरूरत है तो इससे हमें नहीं हिचकना चाहिए। कुछ समाज व्यक्तियों को आगे बढऩे के लिए हर तरह का रास्ता अपनाने के लिए मजबूर करता है। कहीं मुक्ति पाना जीवन का उद्देश्य है तो कहीं मात्र भौतिक सुख पाना ही जीवन का चरम उद्देश्य है। जीवन के उद्देश्य मात्र को ही मूल्य नहीं कहा जाता है, बल्कि आचरण के नियम को भी मूल्य कहा जाता है। वैसे नियम जिसे समाज कभी टूटने नहीं देना चाहता है, वे नियम समाज के मूल्य माने जाते हैं, जैसे उत्तर भारत में हिन्दू समाज के अंतर्गत बहुत नजदीक संबंधियों के बीच विवाह वर्जित हैं। हिन्दू समाज का यह भी मूल्य है कि विवाह निश्चित रूप से अपनी ही उपजाति में होना चाहिए।
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