Hindi, asked by janvikumari1406, 8 months ago

सारांश:-
यह कविता मुरारी लाल शर्मा 'देशबंधु ' के द्वारा रचित है। इस कविता में कवि का ईश्वर के
प्रति प्रेम , विश्वास को दर्शाया गया है। कवि कहते है कि प्रार्थना मनुष्य को श्रेष्ठ बनती है
इसलिए कवि ईश्वर से कर्तव्य मार्ग यानि मनुष्य होने का फ़र्ज़ निभाने के लिए शक्ति मांग
रहे है। कवि इस संसार के दीन दुखियों, विकलांगों की सेवा करने के लिए ईश्वर से शक्ति
मांग रहे है। कवि अपना जीवन पवित्र एवं दयापूर्ण बनाने की मांग कर रहे है ,ताकि वे इस
जीवन की सभी बुराइयाँ , ईर्ष्या , द्वेष , पाखंड एवं झूठ से दूर रहे |अंत में कवि ईश्वर से
यह मांगते है की उनका जीवन जो इस धरती , इस देश की अमानत है , अगर कभी समय
आए तो इसे भारत माता के लिए न्योछावर कर सके।
सीख- हमें एक दूसरे से मिल - जुलकर रहना चाहिए। हमें ईश्वर ने एक
बनाया है। हम एक दूसरे की हमेशा मदद करनी चाहिए।
1.दिए गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए:-
1.इस कविता में 'दयानिधे' किसके लिए प्रयुक्त हुआ हैं ?
2.इस कविता के रचयिता कौन हैं ?
3.कवि किसपर बलिदान होने की बात कर हैं ?​

Answers

Answered by dshravani46
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Answer:

2.murari lal Sharma

3.ishvar

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