Economy, asked by aanchalkhonde2, 1 month ago

सार्वजनिक ऋण का वर्गीकरण कीजिये। सार्वजानिक ऋण के शोधन की विधियाँ कौन-कौन सी है? विस्तार में समझाइये। ​

Answers

Answered by satyam21461
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राजकीय ऋण (अंग्रेज़ी: Government debt) (जो लोक ऋण, राष्ट्रीय ऋण और संप्रभु ऋण के रूप में भी जाना जाता हैं) वह ऋण हैं जो किसी केंद्र सरकार द्वारा बकाया हैं। संघीय राज्यों में, राजकीय ऋण का सन्दर्भ किसी राज्य अथवा प्रान्त, या नगरपालिका या स्थानीय सरकार के ऋण से भी हो सकता हैं। इसके विपरीत, वार्षिक राजकीय घाटे का सन्दर्भ किसी एक वर्ष के सरकारी आय और व्यव के अंतर से होता हैं।

वर्तमान समय में सरकार के आर्थिक और विकास सम्बन्धी कार्य पहले से काफी अधिक हो गये है। इन कार्यों में वृद्धि होने के कारण सार्वजनिक व्यय में भी काफी अधिक वृद्धि हुई है। इसके लिए सरकार को कई साधनों से धन प्राप्त करना अर्थात् ऋण लेना पड़ता है।सरकार द्वारा लिये गये इस ऋण को ही सार्वजनिक ऋण (public debt) कहा जाता है।

Answered by Kimbongcha
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Answer:सार्वजनिक ऋण का वर्गीकरण

सार्वजनिक ऋण के स्रोतों को या वर्गीकरण को निम्नलिखित आधारों पर बांटा जा सकता हैः

समय के अनुसार

प्रत्येक ऋण एक निश्चित समय के लिये लिया जाता है। समय के अनुसार सार्वजनिक ऋणों का उल्लेख निम्न प्रकार से किया जा सकता हैः

1. अल्पकालीन ऋणः जो ऋण सरकार एक वर्ष तक की अवधि के लिये लेती है उन्हें अल्पकालीन ऋण कहते है।

2. दीर्घकालीन ऋणः ये ऋण दस वर्ष से अधिक समय के लिये जाते है।

3. कोषित ऋणः जब किसी ऋण की मूल रकम लौटाने के लिये सरकार बाध्य नहीं होती तो उसे कोषित ऋण कहते है।

4. अकोषित ऋणः अकोषित ऋण वे ऋण हैं जिनके मूलधन तथा ब्याज का भुगतान एक निश्चित तिथि तक करने के लिये सरकार वचनबद्ध होती है।

प्रयोग के अनुसार

प्रयोग के अनुसार सार्वजनिक ऋणों का उल्लेख निम्न प्रकार से किया जा सकता हैः

1. उत्पादक ऋणः उत्पादक ऋण वे ऋण होते है जिन्हें उत्पाद कार्यों में लगाया जाता है।

2. अनुत्पादक ऋणःअनुत्पादक ऋण वे ऋण होते है जिनके व्यय से न तो आय प्राप्त होती है और न उत्पादन क्षमता में वृद्धि होती है।

प्रकृति के अनुसार

सार्वजनिक ऋणों का प्रकृति के अनुसार उल्लेख निम्न प्रकार से किया जा सकता हैः

1. ऐच्छिक ऋणः ये ऋण जनता अपनी इच्छानुसार सरकार को प्रदान करती है। सरकार ऋण की शर्तों के अनुसार इनका ब्याज सहित भुगतान कर देती है।

2. अनैच्छिक ऋणः युद्ध अथवा संकट की अवस्था में सरकार लोगों को ऋण देने के लिये मजबूर कर सकती है। इन ऋणों को लोग अपनी इच्छा से नहीं देते, इसलिये ये ऋण अनैच्छिक ऋण कहलाते है।

ऋण की प्राप्ति के अनुसार

ऋण की प्राप्ति के अनुसार सार्वजनिक ऋणों का उल्लेख निम्न प्रकार से किया जा सकता हैः

1. आन्तरिक ऋणः आन्तरिक ऋण वे ऋण हैं जो किसी देश के अन्दर उस देश की जनता अथवा बैंक आदि वित्तीय संस्थाओं से प्राप्त किये जा सकते है।

2. विदेशी ऋणः विदेशी तथा अन्तर्राष्ट्रीय संस्थाओं से जो ऋण प्राप्त किये जाते है उन्हें विदेशी ऋण कहते है।

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