"सूरदास अवला हम भोरी,गुर चांटी ज्यों पागी" में कौन सा अलंकार है।
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I'm sorry Main Khud bhi uska answer dhundh rahi hun
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सूरदास अवला हम भोरी,गुर चांटी ज्यों पागी ,में प्रयुक्त अलंकार है उपमा अलंकार ।
- इन पंक्तियों में कवि कहते है कि गोपियों का श्री कृष्ण के प्रति उड़ी तरह का प्रेम है जैसे गुड से जुड़ी चींटियों का होता है।
- जिस प्रकार किसी भी परिस्थिति में चिंटियां गुड को छोड़ना नहीं चाहती उसी प्रकार गोपियां भी श्री कृष्ण को छोड़ना नहीं चाहती ।
- श्री कृष्ण का रूप बहुत आकर्षक था। जब वे बासुरी बजाते थे , लोग मंत्र मुग्ध हो जाते थे।
- कृष्ण की आवाज व उनकी बचकानी हरकतें सभी को पसंद थी।
- गोपियों के लिए श्री कृष्ण भगवान थे। कृष्ण से उनका मोह शारीरिक नहीं था अपितु सबसे उत्तम व पवन प्रेम था। श्री कृष्ण उनके हृदय में बसे हुए थे।
- सूरदास जी सोलहवीं शताब्दी के हिन्दू कवि व गायक थे। वे भक्ति गीत गाते थे व भक्ति काव्य लिखते थे।
- वे श्री कृष्ण की आराधना करते थे।
#SPJ3
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