संस्कृति एवं मानव शिशु के समाजीकरण की प्रकिया का मुल आधार है समझाइए
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समाजीकरण से आप क्या समझते हैं...
प्रत्येक शिशु जन्म के समय एक संगठित शारीरिक ढांचा मात्र होता है। वह न तो अपने बारे में जानता है, न ही समाज के बारे में। घर में, समाज में उसे किस प्रकार का व्यवहार करना चाहिए, यह सब उसे घर-परिवार के सदस्यों, रिश्तेदारों-परिचितों के आचरण और उनके बताने से सीखने को मिलता है। इस प्रकार समाज में वह अपनी भूमिका निभाने लायक बनता है। सीखने की यह प्रक्रिया समाज विज्ञान में और मनोविज्ञान में समाजीकरण कहलाती है।
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समाजीकरण पर एचएम जानसन की परिभाषा बताइए...
एचएम जानसन के शब्दों में: समाजीकरण सीखने की प्रक्रिया है जो सीखने वाले को सामाजिक भूमिकाओं को निभाने योग्य बनाती है।
परिभाषा के निहितार्थ:यहां जानसन की परिभाषा से स्पष्ट है कि हर चीज सीखना मात्र समाजीकरण नहीं है। सीखने की उसी प्रक्रिया को उन्होंने समाजीकरण कहा है जिसकी मदद से व्यक्ति की भागीदारी समाज में संभव हो पाती है। समाज को विध्वंस करने के बारे में सीखना समाजीकरण नहीं है। दरअसल सीखने का उद्देश्य सामाजिक प्रक्रियाआें में भाग लेना एवं सामाजिक नियमों तथा मूल्यों के अनुरूप अनुसरण करना होता है।
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समाजीकरण का समाज के निर्माण एवं उसकी निरंतरता में क्या योगदान होता है ...
समाजीकरण के अंतर्गत व्यक्ति समाज की संस्कृति के बारे में सीखता है और उसी के अनुरूप व्यवहार करने की अपेक्षा की जाती है। इसी समाजीकरण के माध्यम से ही समाज में संस्कृति एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी में अंतरित होती रहती है। इस प्रकार समाज एवं संस्कृति अनवरत रूप से थोड़े-बहुत परिवर्तनों के साथ जीवन्त व्यवस्था की तरह चलते रहते हैं।
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समाजीकरण पर किम्बाल यंग की परिभाषा बताइए...
किम्बाल यंग ने इसके मनोवैज्ञानिक परिप्रेक्ष्य में लिखा है
-समाजीकरण वह प्रक्रिया है, जिसके द्वारा व्यक्ति सामाजिक और सांस्कृतिक क्षेत्र में प्रवेश करता है, समाज के विभिन्न समूहों का सदस्य बनता है। इसी प्रक्रिया के माध्यम से उसे समाज के मूल्यों एवं मानकों को स्वीकारने की प्रेरणा मिलती है।
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समाजीकरण की उपक्रियाएं कौन सी होती हैं...
समाजीकरण सीखने की प्रक्रिया का नाम है, लेकिन कोई बालक अपनी संस्कृति को क्यों और कैसे सीखता है यह अब तक स्पष्ट नहीं हो पाया है। जेएच फिक्टर ने बताया है कि सीखने की प्रक्रिया में तीन उपक्रियाएं शामिल होती हैं, जो इस प्रकार हैं।
-नकल
-सुझाव
-प्रतियोगिता
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समाजीकरण के प्रमुख अभिकरण कौन कौन से हैं...
बीयरस्टेट ने लिखा है: व्यक्तित्व कभी बना-बनाया नहीं आता। व्यक्ति के व्यक्तित्व के विकास में समाजीकरण की सबसे प्रमुख भूमिका होती है। व्यक्ति जन्म से ही अपने गुणों को प्राप्त नहीं करता है, बल्कि समाज के सदस्य के रूप में वह धीरे-धीरे अर्जित करता है। जीवनचक्र की इस प्रक्रिया में समाजीकरण के विभिन्न अभिकरणों की भूमिका होती है।
प्रमुख अभिकरण: कुछ प्रमुख अभिकरण निम्नलिखित हैं।
-परिवार
-मित्रों का समूह
-पड़ोस
-शिक्षा
-राज्य
-जनसंपर्क के साधन
जे एच फिक्टर के अनुसार*सम्पूर्ण समाज समाजीकरण के लिए अभिकरण का काम करता है। प्रत्येक व्यक्ति जिसके साथ वह संपर्क में आता है, वह किसी न किसी रूप में समाजीकरण का एक अभिकर्ता या एजेंट होता है।
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समाजीकरण की विशेषताएं
-सीखने की प्रक्रिया
-आजीवन प्रक्रिया
-संस्कृति को आत्मसात करने की प्रक्रिया
-गत्यात्मक प्रक्रिया
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समाजीकरण के जैविक आधार
-सहज प्रवृत्तियों की कमी
-अंत:क्रियात्मक आवश्यकताएं
-बाल्यावस्था की निर्भरताएं
-सीखने की क्षमता
-भाषा
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समाजीकरण के उद्देश्य
-समाजीकरण अनुशासन का पाठ पढ़ाता है।
-समाजीकरण प्रेरणा का स्रोत होता है।
-समाजीकरण सामाजिक भूमिका का पाठ पढ़ाता है।
-समाजीकरण कुशलता प्रदान करता है।
-समाजीकरण के द्वारा व्यवहारों में है।
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