• सुशीला ने अपनी बेटी की ‘पौटी' साफ़ करते समय तो मुँह नहीं ढंका, लेकिन दीपक की पोटी साफ़ करते समय उसने मुँह बँक लिया। ऐसा क्यों?
•जब तुम कूड़े के ढेर के पास से गुजरते हो, वहाँ की गंध तुम्हें कैसी लगती है? उस बच्चे के बारे में सोचो जो दिन में कई घंटे इसी कचरे के ढेर में से चीजें बीनता है।
•क्या गंध का अच्छा या बुरा होना सभी के लिए एक जैसा ही होता है। या इस पर हमारी सोच का असर भी पड़ता है?
Answers
⦿ सुशीला ने अपनी बेटी की ‘पौटी' साफ़ करते समय तो मुँह नहीं ढंका, लेकिन दीपक की पोटी साफ़ करते समय उसने मुँह बँक लिया। ऐसा क्यों?
▬ अक्सर ऐसा होता है कि हम गंध के प्रति एक राय बना लेते हैं। सुशीला जब अपनी बेटी की पॉटी साफ कर रही थी तो उसका ध्यान बेटी की सफाई पर था। उसे अपनी बेटी की पॉटी गंदी नहीं लगती। इसके लिए उसे बदबू का एहसास नहीं होता। वो यह काम रोजाना करती है। वो अपनी बेटी की फोटो को गंदगी नहीं मानती। लेकिन दीपक की पॉटी साफ करते समय उसे दीपक की पॉटी गंदगी लगी। इसके लिए उसने अपने मुंह पर हाथ रख लिया, क्योंकि उसे बदबू का एहसास हुआ। कोई भी गंध हमें तब ज्यादा परेशान करती है जब हम उसे दुर्गंध मान लेते हैं। अगर हम मन बना ले तो वह इतना परेशान नहीं करेगी।
⦿ जब तुम कूड़े के ढेर के पास से गुजरते हो, वहाँ की गंध तुम्हें कैसी लगती है? उस बच्चे के बारे में सोचो जो दिन में कई घंटे इसी कचरे के ढेर में से चीजें बीनता है।
▬ जब हम कूड़े के ढेर के पास से गुजरते हैं तो कूड़े की दुर्गंध से कूड़े के ढेर के पास से गुजरना मुश्किल हो जाता है और हमारा मन करता है कि हम जल्दी से जल्दी उस कूड़े के ढेर से दूर हो जाएं। जो बच्चा कूड़े के ढेर में से चीजें बीनता है, उसे दुर्गंध से कुछ लेना-देना नहीं होता, क्योंकि वह उसका कार्य है। वह कूड़े को गंदगी नहीं मानता, क्योंकि यह उसे आजीविका प्रदान करता है। इसलिए उसे कूड़े की दुर्गंध परेशान नहीं करती। जब हम एक ही तरह की गंध, चाहे वह दुर्गंध ही क्यों ना हो, बहुत लंबे समय तक सूंघते रहते हैं, तो हमें उसकी आदत हो जाती है और फिर वह दुर्गंध हमें परेशान नहीं करती। कूड़ा बीनते बच्चे का हाल भी इसी तरह होता होगा। हालांकि कूड़ा बीनते बच्चे का कूड़ा बीनना ना तो उसके स्वास्थ्य के लिए ठीक है और ना ही उसके जीवन के लिए। क्योंकि इस आयु में उसका कार्य स्कूल जाना है ना कि कूड़ा बीनना।
⦿ क्या गंध का अच्छा या बुरा होना सभी के लिए एक जैसा ही होता है। या इस पर हमारी सोच का असर भी पड़ता है?
▬ गंध का अच्छा होन या बुरा होना हमेशा। एक जैसा नहीं होता। यह बहुत कुछ हमारी सोच पर निर्भर करता है। कोई एक तरह की गंध कभी किसी को अच्छी लगती है, तो किसी को बुरी। किसी गंध का अच्छा या बुरा होना हमारे मन की सोच पर निर्भर करता है। मछली बाजार में काम करने वाली औरतें को मछली की गंध का कोई प्रभाव नहीं पड़ता और वह गंध उन्हें अच्छी लगती है। जबकि मच्छी बाजार के पास से गुजरने वाले विशेषकर शाकाहारी व्यक्तियों को यह दुर्गंध असहनीय हो जाती है।
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“कैसे पहचाना चींटी ने दोस्त को”
(पर्यावरण अध्ययन — कक्षा 5, पाठ -1)
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