सुदामा के तंदुल मुहावरे का अर्थ
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सुदामा पूर्व जन्म की करें दान के गाने चंकी हो ना करें
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सुदामा के तंदुल मुहावरे का अर्थ
सुदामा के तंदुल मुहावरे का अर्थ एक प्रतीक के रूप में प्रकट होता है। तंदूल यानी चावल सुदामा कृष्ण की मित्र थे और अपनी निर्धनता के दिनों में जब वे सहायता मांगने के लिए कृष्ण के पास जा रहे थे, तो उनकी पत्नी ने भेंट के रूप में कुछ चावल पकाकर उनकी पोटली में बांध दिए थे। कृष्ण ने वह साधारण से चावल बड़े प्रेम से खाये, क्योंकि सुदामा सच्ची भावना से वह चावल लेकर आए थे।
इसलिए ‘सुदामा के तंदुल’ मुहावरा बात का प्रतीक है कि प्रभु के प्रति भक्ति में सच्ची श्रद्धा होनी चाहिए। ईश्वर धन नहीं भाव देखता है। सच्चे भाव से की गई आराधना अवश्य सुनता हैं। ‘सुदामा के तंदुल’ उसी भाव का प्रतीक हैं।
शबरी के बेर और सुदामा के तंदुल वाक्यांश ईश्वर के प्रति प्रेम का प्रतीक हैं।
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