History, asked by ahirwarr8910, 11 months ago

सिंधु घाटी सभ्यता के लोग किस देवता की पूजा करते थे ?

Answers

Answered by chetan2222
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सिंधु घाटी सभ्यता (3300 ईसापूर्व से 1700 ईसापूर्व तक,परिपक्व काल: 2600 ई.पू. से 1900 ई.पू.)[1] विश्व की प्राचीन नदी घाटी सभ्यताओं में से एक प्रमुख सभ्यता है।[2]जो मुख्य रूप से दक्षिण एशिया के उत्तर-पश्चिमी क्षेत्रों में, जो आज तक उत्तर पूर्व अफगानिस्तान ,पाकिस्तान के उत्तर-पश्चिम और उत्तर भारत में फैली है।[3] प्राचीन मिस्र और मेसोपोटामिया की प्राचीन सभ्यता के साथ, यह प्राचीन दुनिया की सभ्यताओं के तीन शुरुआती कालक्रमों में से एक थी, और इन तीन में से, सबसे व्यापक तथा सबसे चर्चित। सम्मानित पत्रिका नेचर में प्रकाशित शोध के अनुसार यह सभ्यता कम से कम 8000 वर्ष पुरानी है। यह हड़प्पा सभ्यता और 'सिंधु-सरस्वती सभ्यता' के नाम से भी जानी जाती है।

thank you
#chetan2222.
Answered by krishna210398
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Answer:

भगवान शिव

Explanation:

सिन्धु घाटी सभ्यता( पूर्व हड़प्पा काल 3300- 2500 ईसा पूर्व, परिपक्व काल 2600- 1900 ई पू; उत्तरार्ध हड़प्पा काल 1900- 1300 ईसा पूर्व)( कृपया उद्धरण जोड़ें) विश्व की प्राचीन सभ्यताओं में से एक प्रमुख सभ्यता है । जो मुख्य रूप से दक्षिण एशिया के उत्तर- पश्चिमी क्षेत्रों में, जो आज तक उत्तर पूर्व अफगानिस्तान तीन शुरुआती कालक्रमों में से एक थी, और इन तीन में से, सबसे व्यापक तथा सबसे चर्चित । सम्मानित पत्रिका नेचर में प्रकाशित शोध के अनुसार यह सभ्यता कम से कम वर्ष पुरानी है ।( कृपया उद्धरण जोड़ें) यह हड़प्पा सभ्यता के नाम से भी जानी जाती है ।(

इसका विकास सिन्धु और घघ्घर/ हकड़ा( प्राचीन सरस्वती) के किनारे हुआ । हड़प्पा, मोहनजोदड़ो, कालीबंगा, लोथल, धोलावीरा और राखीगढ़ी इसके प्रमुख केन्द्र थे । दिसम्बर 2014 में भिरड़ाणा को सिन्धु घाटी सभ्यता का अब तक का खोजा गया सबसे प्राचीन नगर माना गया है । ब्रिटिश काल में हुई खुदाइयों के आधार पर पुरातत्ववेत्ता और इतिहासकारों का अनुमान है कि यह अत्यन्त विकसित सभ्यता थी और ये शहर अनेक बार बसे और उजड़े हैं ।

7वीं शताब्दी में पहली बार जब लोगो ने पंजाब प्रान्त में ईंटो के लिए मिट्टी की खुदाई की तब उन्हें वहाँ से बनी बनाई ईंटें मिली जिसे लोगो ने भगवान का चमत्कार माना और उनका उपयोग घर बनाने में किया उसके बाद 1826 में चार्ल्स मैसेन ने पहली बार इस पुरानी सभ्यता को खोजा । कनिंघम ने 1856 में इस सभ्यता के बारे में सर्वेक्षण किया । 1856 में कराची से लाहौर के मध्य रेलवे लाइन के निर्माण के दौरान बर्टन बन्धुओं द्वारा हड़प्पा स्थल की सूचना सरकार को दी । इसी क्रम में 1861 में एलेक्जेण्डर कनिंघम के निर्देशन में भारतीय पुरातत्व विभाग की स्थापना की गयी । 1902 में लार्ड कर्जन द्वारा जॉन मार्शल को भारतीय पुरातात्विक विभाग का महानिदेशक बनाया गया । फ्लीट ने इस पुरानी सभ्यता के बारे में एक लेख लिखा । 1921 में दयाराम साहनी ने हड़प्पा का उत्खनन किया । इस प्रकार इस सभ्यता का नाम हड़प्पा सभ्यता रखा गया व राखलदास बेनर्जी को मोहनजोदड़ो का खोजकर्ता माना गया ।

#SPJ2

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