स्व अयोग्यता क्या हैं? स्व-अयोग्यता वाली प्रजातियों में स्व-परागण प्रक्रिया बीज की रचना तक क्यों नहीं पहुँच पाती है?
Answers
स्व अयोग्यता :
स्व अयोग्यता को अंतरजातीय अनिषेचयता भी कहते हैं। इसमें जब एक पादप के पुष्प के परागण उसी पुष्प के वर्तिकाग्र पर पहुंचते हैं ,तो उनका अंकुरण नहीं हो पाता है , परंतु जब ये दूसरे पुष्पों के वर्तिकाग्र पर पहुंचते हैं , तो अंकुरण हो जाता ; जैसे आलू, तंबाकू ,माल्वा आदि।
कई बार अयोग्य परागकण वर्तिकाग्र पर गिरते हैं, तब स्त्रीकेसर अपनी विशिष्ट क्षमता से पहचान लेती है , कि वह अयोग्य है, यह परागकण व स्त्रीकेसर के बीच रसायनिक घटकों की क्रिया द्वारा संभव हो पाता है।
अगर परागण वर्तिकाग्र पर अंकुरित भी हो जाता है, तब भी वर्तिका में स्त्रीकेसर के रसायन परागनलिका की वृद्धि रोक देते हैं, जिससे वह बीजाण्ड में नहीं पहुंच पाती है व निषेचन की प्रक्रिया न होने से बीज भी नहीं बन पाते हैं।
आशा है कि यह उत्तर आपकी अवश्य मदद करेगा।।।।
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Explanation:
स्व अयोग्यता को अंतरजातीय अनिषेचयता भी कहते हैं। इसमें जब एक पादप के पुष्प के परागण उसी पुष्प के वर्तिकाग्र पर पहुंचते हैं ,तो उनका अंकुरण नहीं हो पाता है , परंतु जब ये दूसरे पुष्पों के वर्तिकाग्र पर पहुंचते हैं , तो अंकुरण हो जाता ;
जैसे आलू, तंबाकू ,माल्वा आदि।