स्वच्छ शहर पर speech
Answers
Explanation:
अगर हम अपने आसपास ही स्वच्छता पर ध्यान दें तो जानते हैं कि कई सारी समस्याएं खुद ही खत्म हो जाएंगी। मैं स्वच्छता को लेकर दूसरों से लड़ाई नहीं करती और न ही उनको टोकती हूं, लेकिन सड़कों पर कूड़ा फेंकने वालों के सामने एक काम जरूर करती हूं,जिससे उनको अपनी गलती का अहसास हो जाए और बिना कुछ कहे स्वच्छता का संदेश उन तक पहुंच जाए।
आप पूछोगे कि मैं ऐसा क्या करती हूं, तो मेरा जवाब है कि मैं उनका सड़क पर फेंका गया कूड़ा उठाकर उनके ही सामने नजदीकी कूड़ेदान में डाल देती हूं। आप कहेंगे,ऐसा कब तक होगा, तो मेरा कहना है- जब तक मेरे सामने ऐसा होता रहेगा। मुझे विश्वास है कि एक दिन सड़क पर कूड़ा फेंकने की आदत भी खत्म हो जाएगी और लोग कूड़ा सीधे डस्टबिन में ही डालेंगे। अगर हम ऐसे दो लोगों की आदत में बदलाव ला दें तो समझ लेना है कि स्वच्छता को लेकर बदलाव की लहर लाने में हमारी भूमिका कम महत्वपूर्ण नहीं है। क्या हम यह छोटी सी पहल नहीं कर सकते, अपने शहर की स्वच्छता के लिए।
अक्सर लोग विदेशों से लौटकर आए व्यक्तियों से पूछते हैं कि वहां साफ सफाई का क्या हाल है, ज्यादातर सुनने को मिलता है कि वहां तो सड़कें एकदम साफ हैं। कूड़ा कहीं नहीं दिखता। मेरा कहना है कि कब तक विदेश की साफ सफाई पर बातें करते रहोगे,अपने देश की सड़कों, गलियों,नदियों को भी ऐसा बना दो कि हम गर्व से कहें कि स्वच्छता में तो हम सबसे आगे हैं। मेरा देश स्वच्छ हैं और यहां के लोग स्वस्थ हैं।
यहां हम जिक्र कर रहे हैं मानवभारती स्कूल के बच्चों की हिन्दी दिवस पर निबंध लेखन प्रतियोगिता का। कक्षा 6 से 7 तक के बच्चों के स्वच्छता अभियान पर लिखे निबंधों का सार कुछ यही है। बच्चों को हिन्दी भाषा का महत्व या स्वच्छता अभियान,दोनों में से किसी एक पर निबंध लिखने को कहा गया था। देशभर में स्वच्छता के लिए चल रही मुहिम पर अपने नजरिये को बच्चे ने बहुत शानदार तरीके से पेश किया। बच्चे लिखते हैं कि शिक्षक हमें सिखाते हैं कि अपने आसपास, घर, स्कूल में कूड़ा इधऱ-उधर नहीं फेंकना चाहिए। मम्मी – पापा बताते हैं कि कूड़ा डस्टबिन में डालें। आखिर ये लोग कूड़े को लेकर इतना ध्यान क्यों दे रहे हैं। वो इसलिए ऐसा कर रहे हैं, क्याेंकि इधर उधर फैलने वाली गंदगी बीमारियों को बुलाती है। अगर हम कूड़ा डस्टबिन में डालें और स्वच्छता पर ध्यान दें तो हमारा स्वास्थ्य अच्छा रहेगा।