स्वरों की उत्पत्ति किससे मानी जाती है?
Answers
u it from my phone and see what happens and see what happens and we can get it done before it gets
Explanation:
कहा जाता है कि सभ्यता के साथ संगीत भी परिष्कृत हो जाता है। संगीत का अस्तित्व ब्रह्मांड की शुरूआत से बताया गया है। प्राचीन समय में ऋषि ईश्वर की आराधना आध्यात्मिक शक्ति से सम्पन्न करते थे। इसलिए वह ऊं स्वर से साधना करते थे। ऊं स्वर का दीर्घ उच्चारण कर लंबी ध्वनि द्वारा नाद स्थापित किया जाता था। इस उच्चारण को आध्यात्मिक ज्ञान की वृद्धि और संगीत उपासना पर्याय माना गया है।
संगीत की उत्पत्ति ब्रह्मा द्वारा हुई। ब्रह्मा ने आध्यात्मिक शक्ति द्वारा यह कला देवी सरस्वती को दी। सरस्वती को 'वीणा पुस्तक धारणी' कहकर और साहित्य की अधिष्ठात्री माना गया है। इसी आध्यात्मिक ज्ञान द्वारा सरस्वती ने नारद को संगीत की शिक्षा प्रदान की। नारद ने स्वर्ग के गंधर्व किन्नर तथा अप्सराओं की संगीत शिक्षा दी।
वहां से ही भरत, नारद और हनुमान आदि ऋषियों ने संगीत कला का प्रचार पृथ्वी पर किया। आध्यात्मिक आधार पर एक मत यह भी है कि नारद ने अनेक वर्षों तक योग-साधना की तब शिव ने उन्हें प्रसन्न होकर संगीत कला प्रदान की थी।
आध्यात्मिक ज्ञान द्वारा ही पार्वती की शयन मुद्रा को देखकर शिव ने उनके अंग-प्रत्यंगों के आधार पर रूद्रवीणा बनाई और अपने पांच मुखों द्वारा पांच रागों की उत्पत्ति की। इसके बाद छठा राग पार्वती के मुख द्वार से उत्पन्न हुआ था।