स्वतंत्रता सभी को प्रिय है कविता के आधार पर स्पष्ट किजिए
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गलत चीज
होती है स्वतंत्रता
जो चाहे जब चाहे
इसका गलत फायदा उठाते हैं
छोटा आदमी छोटा खेल खेलने को
तैयार होता रह जाता है ...
बड़ा आदमी बड़ा खेल खेल जाता हैं
सबको उकसाती है स्वतंत्रता
लुभाती है .....
भरमाती हैं इतना कि
जिंदगी बेशर्म ही जाती है
बड़े छोटे जा फक्र सिमट जाता है
अफसर मंत्री धेकेदार का अंतर मिट जाता है
बाप बेटे का रिश्ता हिल जाता है
माँ बेटी पर वक्त थन जाता है
गुरु शिष्य एक हो लेते हैं
शेर बकरी एक फ्रेम में हस्ते है
सच ये भी है कि
मानवीय रिश्ते बोझ हो जाते है
अपने ही बच्चे आंवच्छित
पैसा अतिरिक्त मगर मन रिक्त
दिशाओ पर संचार छाया मगर
हर एक कि ओर से
समय समाप्ति की घोषणा ......
स्वतंत्रता
का रियल्टी शो है ये
इतना स्वतंत्र हो उठा है
आदमी
जितना कि गधा ....।
वह गधा जो सड़क के बीच मे
खड़ा है और
पीछे से लगातार हार्न दे रहे समय के
ट्रक से भी नही डरता ।
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