संयोग श्रृंगार example...rply fast.... 1st answer will be the brainliest...
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दरद कि मारी वन-वन डोलू वैध मिला नाहि कोई
मीरा के प्रभु पीर मिटै, जब वैध संवलिया होई
मेरे तो गिरधर गोपाल दूसरो न कोई
जाके सिर मोर मुकुट मेरा पति सोई
बसों मेरे नैनन में नन्दलाल
मोर मुकुट मकराकृत कुंडल, अरुण तिलक दिये भाल
अरे बता दो मुझे कहाँ प्रवासी है मेरा
इसी बावले से मिलने को डाल रही है हूँ मैँ फेरा
कहत नटत रीझत खिझत, मिलत खिलत लजियात
भरे भौन में करत है, नैननु ही सौ बात
मीरा के प्रभु पीर मिटै, जब वैध संवलिया होई
मेरे तो गिरधर गोपाल दूसरो न कोई
जाके सिर मोर मुकुट मेरा पति सोई
बसों मेरे नैनन में नन्दलाल
मोर मुकुट मकराकृत कुंडल, अरुण तिलक दिये भाल
अरे बता दो मुझे कहाँ प्रवासी है मेरा
इसी बावले से मिलने को डाल रही है हूँ मैँ फेरा
कहत नटत रीझत खिझत, मिलत खिलत लजियात
भरे भौन में करत है, नैननु ही सौ बात
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'में निज आलिन्द में खड़ी थी सखी एक रात,
रिमझिम बूंदें पढ़ती थी घटा छाई थी ,
गमक रही थी केतकी की गंध ,
चारों और झिल्ली झनकार ,
वही मेरे मन भाई थी। '
रिमझिम बूंदें पढ़ती थी घटा छाई थी ,
गमक रही थी केतकी की गंध ,
चारों और झिल्ली झनकार ,
वही मेरे मन भाई थी। '
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