सहाचक जनन प्रौद्योगिकी कितने प्रकार की होती है संक्षेप में बताओं
Answers
सहायक प्रजनन तकनीक
1. भ्रूण प्रत्यारोपण
गाय एवं भैंसों के प्रजनन को बढ़ाने के लिए भ्रूण प्रत्यारोपण तकनीक (ईटीटी) का इस्तेमाल किया जाता है । किसी उत्तम मादा दाता (डोनर) से भ्रूण संकलन करना तथा उसे उसी जाति के किसी मादा प्राप्तकर्त्ता के (रेसिपियन्ट) गर्भाशय में प्रत्यारोपित करने को भ्रूण प्रत्यारोपण कहते हैं । एनडीडीबी ने 1987 में एसएजी, बीडज में भ्रूण प्रत्यारोपण (ईटी) सुविधा स्थापित की तथा श्रेष्ठ गाय एवं भैंसों के सुपर ओवुलेशन की शुरूआत करने के साथ-साथ भ्रूणों का उत्पादन भी शुरू किया । आरंभ से ही, ईटी तकनीक का व्यापक इस्तेमाल सांड़ उत्पादन कार्यक्रमों के लिए किया गया । 1987 में इस परियोजना की शुरूआत से 11584 जीवित भ्रूणों का उत्पादन किया गया तथा 774 नर बछड़े पैदा हुए ।
उसी समय के आस-पास, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय जैव प्रौद्योगिकी विभाग, भारत सरकारद्वारा भ्रूण प्रत्यारोपण तकनीक पशु झुंडों की उत्पादकता बढ़ाने पर विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी परियोजना की शुरूआत की गई । इस परियोजना के कार्यान्वयन हेतु एनडीडीबी को अग्रणी कार्यान्वयन एजेंसी बनाया गया । इस परियोजना के अंतर्गत एनडीडीबी ने एसएजी बीड़ज में मुख्य ईटी प्रयोगशाला तथा 4 क्षेत्रीय ईटी प्रयोगशाला: एबीसी, सालोन, श्रीनाशिक पंचवटी पंजरपोल नाशिक(महाराष्ट्र) सीएफएसपी ए वं टीआई तथा भैंस प्रजनन केंद्र, नकेरीकालू, आंध्र प्रदेश में स्थापित की ।
एनडीडीबी ने देश भर के 25 प्रस्तावित राज्यों में से 14 में ईटी केंद्र भी स्थापित किए । परियोजना अवधि के दौरान (1 अप्रैल 1987 से 31 मार्च 1992 तक) एनडीडीबी ने गायों के 6824 भ्रूण तथा भैंसों के 1452 भ्रूणों का उत्पादन किया ।