समाजशास्त्र धर्म का अध्ययन कैसे करता है?
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जब समाजशास्त्र धर्म का अध्ययन करता है तो यह इस बात का पता करने का प्रयास करते हैं कि धर्म का और सामाजिक संस्थाओं के साथ क्या संबंध है? वैसे शुरू से ही धर्म का राजनीति और शक्ति से काफ़ी करीबी रिश्ता रहा है ।
उदाहरण के तौर पर समय-समय पर सामाजिक परिवर्तन लाने के लिए कई धार्मिक आंदोलन शुरू हुए जैसे कि लैंगिक भेदभाव के विरुद्ध आंदोलन अथवा जाति प्रथा के विरुद्ध आंदोलन । धर्म किसी एक या दो व्यक्तियों की व्यक्तिगत संपत्ति नहीं होती बल्कि इसका सार्वजनिक स्वरूप भी होता है। धर्म का यह सार्वजनिक स्वरूप ही समाज तथा संस्थाओं के संबंध में महत्वपूर्ण होता है।
धर्म के सामाजिक महत्व निम्न प्रकार से है :
- जीवन को निश्चित रूप देना।
- धर्म सामाजिक संगठन को स्थिरता प्रदान करता है।
- पारिवारिक जीवन को मजबूत बनाना।
- सामाजिक नियंत्रण।
- आपस के भेदभाव दूर करना।
आशा है कि यह उत्तर आपकी मदद करेगा।।।।
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