Samijik sadbhav
Essay on nepali language
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आजकल समाज में सद्भाव का अभाव नजर आता है। सामाजिक सद्भाव बने रहने से समाज उन्नति करता है और सद्भाव के बिगड़ने से समाज पतनशील बनता है। अब प्रश्न उठता है कि इस सामाजिक सद्भाव को किस प्रकार लाया जाए?
सामाजिक सद्भाव उत्पन्न करने में युवकों का योगदान अत्यंत महत्त्वपूर्ण सिद्ध हो सकता है। युवकों में ऊर्जा होती है। वे किसी भी असंभव काम को संभव कर सकते हैं। नई पीढ़ी को ही समाज की पुनर्रचना करनी है। यदि हम अपने समाज के युवकों के मन में अच्छे विचार पैदा करेंगे तो निश्यच ही उसका फल भी अच्छा ही मिलेगा। युवक सुसंस्कृत होकर शिष्ट नागरिक बनेंगे। ऐसे शिष्ट नागरिक एक सभ्य समाज का निर्माण करेंगे। जब वेे ऐसा काम करेंगे तो सामाजिक सद्भाव तो स्वयं उत्पन्न हो जाएगा।
समाज के सद्भाव को बिगाड़ने मंे सांप्रदायिकता की भावना, स्वार्थप्रवृत्ति तथा क्षुब्ध राजनीतिक इच्छाएँ आदि आती हैं। हमें इससे ऊपर उठना होगा। समाज में समरसता उत्पन्न करनी होगी। यह काम युवा वर्ग भली प्रकार कर सकता है। हमें युवकों की ऊर्जा का सदुपयोग करना चाहिए