samvad lekhan between maa and beta on any festival.
pls answer as fast as possible.i will mark as brainly if anyone answers first.
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माँ: अरे राम! तुम अभी तक सो रहे हो? आज होली का त्यौहार है| तैयार होकर सभी बड़ो का आशीर्वाद लो| फिर त्यौहार की तैयारी करो|
बेटा: क्या माँ; हर दिन कोई त्यौहार| हालाँकि मुझे त्यौहार पसंद है पर मुझे रंग लगाना नापसंद है| कोई जबर्दस्ती रंग न लगा दे इसलिए मैं अपने कमरे में ही बंद रहूँगा|
माँ: तुम अभी तक हॉस्टल में रहे हो इसलिए तुम्हें इसका महत्व पता नहीं है| वहां तुमने इसका विकृत रूप ही देखा है|
बेटा: माँ तुम मुझे विस्तार से बताओ| दहन क्यों किया जाता है और भी अन्य बातें|
माँ: होलिका राक्षसी थी; बुराई का प्रतीक| वहीं प्रहलादजी ईश्वर के अनन्य भक्त| बुरे कितना भी प्रयास करे भक्ति व अच्छाई को नष्ट करने का पर अंत में स्वयं नष्ट हो जाती है| साथ ही हमें ये भाव भी करना चाहिए कि हमारे भीतर के बुरे भाव और तम भी इसमें जलकर नष्ट हो गये हैं और प्रकाश का आगमन हमारे मन- मस्तिष्क में हो गया है|
बेटा: ये तो बड़ा सुंदर भाव है| अब बताओ रंग क्यों लगाते है|
माँ: ये फाल्गुन मास का अवसान और बसंत के आगमन की सूचना है| टेसू के फूलों से शुद्ध रंग बनाकर, सूखी गुलाल लगाकर सभी एक-दूसरे को बसंत की तरह उत्फुल्ल रहने की शुभकामना देते है| पस्पर गले मिलकर बैरभाव भुला देते है|
बेटा: पर माँ आजकल सभी रसायनयुक्त रंगो का प्रयोग करते है, रंगीन पानी के गुब्बारे फेंक कर दूसरो को तंग करते है और पानी को बर्बाद करते है|
माँ: बेटा, हम सही तरीके से त्यौहार मनाकर दूसरों को ये सन्देश दे सकते है कि त्यौहार किसी को परेशान करने के लिए नहीं वरन आपस में प्रेम बढ़ाने के लिए होते है| आओ आज एक नये भाव से होली मनाओ|
बेटा: आप सही कह रही है माँ| हमें अच्छी शुरुआत खुद से करनी चाहिए\ मैं अभी तैयार होकर आता हूँ|
बेटा: क्या माँ; हर दिन कोई त्यौहार| हालाँकि मुझे त्यौहार पसंद है पर मुझे रंग लगाना नापसंद है| कोई जबर्दस्ती रंग न लगा दे इसलिए मैं अपने कमरे में ही बंद रहूँगा|
माँ: तुम अभी तक हॉस्टल में रहे हो इसलिए तुम्हें इसका महत्व पता नहीं है| वहां तुमने इसका विकृत रूप ही देखा है|
बेटा: माँ तुम मुझे विस्तार से बताओ| दहन क्यों किया जाता है और भी अन्य बातें|
माँ: होलिका राक्षसी थी; बुराई का प्रतीक| वहीं प्रहलादजी ईश्वर के अनन्य भक्त| बुरे कितना भी प्रयास करे भक्ति व अच्छाई को नष्ट करने का पर अंत में स्वयं नष्ट हो जाती है| साथ ही हमें ये भाव भी करना चाहिए कि हमारे भीतर के बुरे भाव और तम भी इसमें जलकर नष्ट हो गये हैं और प्रकाश का आगमन हमारे मन- मस्तिष्क में हो गया है|
बेटा: ये तो बड़ा सुंदर भाव है| अब बताओ रंग क्यों लगाते है|
माँ: ये फाल्गुन मास का अवसान और बसंत के आगमन की सूचना है| टेसू के फूलों से शुद्ध रंग बनाकर, सूखी गुलाल लगाकर सभी एक-दूसरे को बसंत की तरह उत्फुल्ल रहने की शुभकामना देते है| पस्पर गले मिलकर बैरभाव भुला देते है|
बेटा: पर माँ आजकल सभी रसायनयुक्त रंगो का प्रयोग करते है, रंगीन पानी के गुब्बारे फेंक कर दूसरो को तंग करते है और पानी को बर्बाद करते है|
माँ: बेटा, हम सही तरीके से त्यौहार मनाकर दूसरों को ये सन्देश दे सकते है कि त्यौहार किसी को परेशान करने के लिए नहीं वरन आपस में प्रेम बढ़ाने के लिए होते है| आओ आज एक नये भाव से होली मनाओ|
बेटा: आप सही कह रही है माँ| हमें अच्छी शुरुआत खुद से करनी चाहिए\ मैं अभी तैयार होकर आता हूँ|
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