Samvad of any story of premchand
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- धनपत राय श्रीवास्तव (31 जुलाई 1880 – 8 अक्टूबर 1936) जो प्रेमचंद) नाम से जाने जाते हैं, वो हिन्दी और उर्दू के सर्वाधिक लोकप्रिय उपन्यासकार, कहानीकार एवं विचारक थे। उन्होंने सेवासदन, प्रेमाश्रम, रंगभूमि, निर्मला, गबन, कर्मभूमि, गोदान आदि लगभग डेढ़ दर्जन उपन्यास तथा कफन, पूस की रात, पंच परमेश्वर, बड़े घर की बेटी, बूढ़ी काकी, दो बैलों की कथा आदि तीन सौ से अधिक कहानियाँ लिखीं। उनमें से अधिकांश हिन्दी तथा उर्दू दोनों भाषाओं में प्रकाशित हुईं।
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Explanation:
आधुनिक हिन्दी कहानी के पितामह माने जाने वाले प्रेमचंद की पहली हिन्दी कहानी सरस्वती पत्रिका के 1915 के दिसंबर अंक में सौत नाम से प्रकाशित हुई और 1936 में अंतिम कहानी कफन नाम से। महज दो दशक की इस अवधि में उनकी कहानियों के अनेक रंग देखने को मिलते हैं, जिनमें उन्होंने सरल, सहज और आम बोल-चाल की भाषा का उपयोग करके जीवन के यथार्थ और अपने प्रगतिशील विचारों को समाज के सामने प्रस्तुत किया।
प्रेमचंद ने हिंदी में यथार्थवाद की शुरुआत की। उनका पहला
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