Sangya ke Pramukh prakaro ka varnan kijiye
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sangya ke prakar
1) vyakti vachak sangya
2) Jaati vachak sangya
3) Bhaav vachak sangya.
संज्ञा की परिभाषा :-
किसी जाति, द्रव्य, गुण, भाव, व्यक्ति, स्थान और क्रिया आदि के नाम को संज्ञा कहते हैं।
पशु (जाति), सुंदरता (गुण), व्यथा (भाव), मोहन (व्यक्ति), दिल्ली (स्थान), मारना (क्रिया)।
यह पाँच प्रकार हैं।
1. व्यक्तिवाचक संज्ञा
2. जातिवाचक संज्ञा
3. समूहवाचक संज्ञा
4. द्रव्यवाचक संज्ञा
5. भाववाचक संज्ञा
1. व्यक्तिवाचक संज्ञा
जिन शब्दों से किसी खास व्यक्ति, स्थान अथवा वस्तु का नाम से बोध हो, उसे व्यक्तिवाचक संज्ञा कहते हैं।
2. जातिवाचक संज्ञा
जातिवाचक संज्ञा उसी को कहते हैं जिसका नाम लेने से उस व्यक्ति या पदार्थ की जाति भर का बोध होता है।
जैसे : - व्यक्तियों, प्राणियों, स्थानों एवं वस्तुओं का बोध कराती. हैं उन्हें जातिवाचक संज्ञाएँ कहते है।
3. समूहवाचक संज्ञा
जब किसी संज्ञा शब्द से व्यक्ति या वस्तु के समूह का बोध होता है तब उसे समूहवाचक संज्ञा कहते हैं।
जैसे :- परिवार, कक्षा, सेना, भीड़, पुलिस आदि।
4. द्रव्यवाचक संज्ञा
जब किसी संज्ञा शब्द से किसी द्रव्य का बोध हो तो उसे द्रव्यवाचक संज्ञा कहते हैं।
जैसे :- पानी, लोहा, तेल, घी, दाल, इत्यादि।
5. भाववाचक संज्ञा :-
जिस संज्ञा शब्द से पदार्थों की अवस्था, गुण-दोष, भाव या दशा,धर्म आदि का बोध हो उसे भाववाचक संज्ञा कहते हैं।
जैसे :- बुढ़ापा, मिठास, बचपन, मोटापा, चढ़ाई, थकावट आदि।