India Languages, asked by Ajaymahajan5966, 10 months ago

सप्रसङ्गं व्याख्यायन्ताम्
(क) यष्मत्कटम्बरक्षायै ....................... जानीहि व्रजाधुना।
(ख) अनिर्वचनीयमेतत्पटयोः सौन्दर्यम्। अतिसूक्ष्मतरोऽयं पटः। पश्य, एतस्य
पञ्चषैः पटलैः परिवेष्टितमप्यपटमेव प्रतीयतेऽङ्गम्।
(ग) न वयमयोग्यमूल्यत्वात् पटं निर्मामः।

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Answered by nikitasingh79
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(क) युष्मत्कुटुम्बरक्षायै …… जानीहि व्रजाधुना।

प्रसंग- प्रस्तुत पंक्ति भास्वती भाग-1 में संकलित नवम पाठ 'वस्त्रविक्रयः' से उदधृत है, जो कि पं. मथुराप्रसाद दीक्षितकृत 'भारतविजयनाटकम्' के प्रथम अंक से संकलित है। प्रस्तुत पाठ में जुलाहों की दयनीय स्थिति का वर्णन है।

व्याख्या- तुम्हारे परिवार की रक्षा के लिए मैंने प्रतिज्ञा नहीं की, कैसे रक्षा हो वो तुम जानो, जाओ अब।

(ख) अनिर्वचनीयमेतत्पटयो: …. प्रतीयतेऽङ्गम्।

प्रसंग- प्रस्तुत पंक्ति भास्वती भाग-1 में संकलित नवम पाठ 'वस्त्रविक्रयः' से उदधृत है, जो कि पं मथुराप्रसाद दीक्षितकृत 'भारतविजयनाटकम्' के प्रथम अंक से संकलित है। प्रस्तुत पाठ में जुलाहों की दयनीय स्थिति का वर्णन है।

व्याख्या- इन वस्त्रों की सुन्दरता अवर्णनीय है। यह वस्त्र अत्यन्त महीन है। देखो, इसकी पाँच छह परतों से ढ़का होने पर भी ऐसा प्रतीत हो रहा है, मानो अंगों पर वस्त्र है ही नहीं।

 

(ग) न वयं ….. निर्मामः।

प्रसंग- प्रस्तुत पंक्ति भास्वती भाग-1 में संकलित नवम पाठ 'वस्त्रविक्रयः' से उदधृत है, जो कि पं. मथुराप्रसाद दीक्षितकृत 'भारतविजयनाटकम्' के प्रथम अंक से संकलित है। प्रस्तुत पाठ में जुलाहों की दयनीय स्थिति का वर्णन है।

व्याख्या- हम उचित मूल्य न मिलने के कारण वस्त्र नहीं बनाते।

अतिरिक्त जानकारी :

प्रस्तुत प्रश्न पाठ वस्त्रविक्रयः ( कपड़ा बेचना) से लिया गया है। इस पाठ का संकलन “भारतविजयनाटकम्" के पहले अंक से किया गया है। इसके लेखक महामहोपाध्याय पं. मथुराप्रसाद दीक्षित हैं।

आग से जली शाहजहाँ की बेटी का इलाज करने के बाद विदेशी (अंग्रेज) भारत के सम्राट शाहजहाँ से पं. बंगाल में रहने के लिए जमीन और कपड़े का व्यापार करने के लिए सर्टिफिकेट प्राप्त कर लेता है। भारत के जुलाहे स्वनिर्मित कपड़ों को बेचने हेतु बाजार जाते हैं। बाजार में व्यापारियों के साथ उनकी बातचीत होती है। उसी समय विदेशी गौरांग का प्रवेश होता है और जिसके हाथ में राजमुद्रांकित प्रमाण-पत्र है। वह अपना प्रमाण-पत्र दिखाकर बहुत कम कीमत पर कपड़े खरीद लेता है और जुलाहों को बेंत से मारता है। इस नाटकांश का मूल यही है। विदेशियों द्वारा किये जाने वाले शोषण को उजागर किया गया है।

 

इस पाठ से संबंधित कुछ और प्रश्न :  

एतत्सूक्ष्मपटस्येति' श्लोकस्य स्वमातृभाषया अनुवादः कार्य:

https://brainly.in/question/15097199

 

अधोलिखितेषु पदेषु धातुं प्रत्ययं च पृथक्कृत्य लिखत

विक्रेतुम, अनिर्वचनीयम, विचिन्त्य, गत्वा, निबध्य, निर्माय, अभिलक्ष्या

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