सपनों के से दिन के लेखक बचपन में अपना नेता किसे मानते थे ?उसकी क्या विशेषताएं थी
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कहानी " सपने के से दिन " लेखक गुरदयाल सिंह के बचपन की कहानी है। वो अपने स्कूल के दिनों को याद करते हैं। वह बहुत संपन्न परिवार से न थे। वह ऐसे गाँव से थे जहा लोगो को पढ़ाई के बारे में इतना पता नहीं था, वहाँ कुछ ही लड़के पढाई में रूचि रखते थे। कई बच्चे स्कूल कभी जाते ही नहीं या बीच में ही पढ़ाई छोड़ देते। वे अपने परिवार के पहले लड़के थे जो स्कूल जाते थे। वे याद करते हैं की सभी विद्यार्थी स्कूल को कैद समझते और पढ़ने में कुछ ही लड़कों को रूचि होती। उन्हें अपना खेल कूद याद आता है कि कैसे सभी बच्चे खेलते समय अक्सर ही चोटिल हो जाया करते और इस पर भी इन्हें अपने अपने घरों में मार पड़ती। स्कूल के आंगन में जो फूल की सुगंध आती वो आज भी महसूस करते हैं। वो स्कूल में काफी मजे करते थे। स्कूल में सब मिल जुल कर रहते थे सब खेलते कूदते थे। लेकिन बड़े होने के बाद ये सब कुछ बचा ही नहीं है। बचपन में खेलना कूदना , कोई भी परेशानी नहीं तथा बिना किसी दबाव के रहते थे
अतः इन सबसे स्पष्ट है की बचपन का समय सबसे अच्छा होता है।
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