sarita kavita ka bhavarth
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ज़िंदगी में बहुत सी मुसीबतें आती हैं, उनको देखकर हमें रूकना नहीं चाहिए बल्कि आगे बढ़ना चाहिए।इस कविता को पढ़ कर पाठक को नदियों के गौरवशाली इतिहास को लौटाने की कोशिश करने की कोशिश करना चाहिए।इस बात की ख़ुशी है कि चाहे वह केंद्र की सरकार हो, और चाहे प्रदेश सरकार हो, चाहे वह समाज हो, चाहे उसके संगठन हों, सभी नदियों की वर्तमान हालात को लेकर चिंतित हैं। ये सभी केवल चिंता ही व्यक्त नहीं करते हैं, बल्कि इसके लिए प्रयासरत भी हैं।योजनायें भी बनाई जाती हैं।उसे सफ़ल भी बनाया जा रहा है। हमें सचेत रहना चाहिए। यह सब देखकर ऐसा ही लगता है कि आने वाले दिनों में गंगा, यमुना और सरयू के गरिमामयी स्वरुप के दर्शन हमें फिर से होंगे।
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कविता का भावार्थ इस प्रकार होना चाहिए ताकि उससे कविता के शब्दों के साथ उसके भाव का भी अर्थ पूर्ण रूप से स्पष्ट हो सके |
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