सत श्री अकाल सबसे पहले किसने बोला
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‘सत श्री अकाल’ नारा सबसे पहले सिखों के दसवें गुरु गुरु गोविंद सिंह द्वारा दिया गया नारा था। यह पूरा नारा यह है कि “जो बोले सो निहाल सत श्री अकाल”।
Explanation:
इस नारे का मतलब है कि ईश्वर ही अंतिम सत्य है और जो यह नारा बोलेगा उस पर ईश्वर का आशीर्वाद हमेशा रहेगा।
“सत श्री अकाल” पंजाबी और सिखों में प्रयुक्त होने वाला एक अभिवादन है। जैसे हिंदुओं में नमस्ते और मुस्लिमों में अस्सलाम-वालेकुम उसी तरह ‘सत श्री अकाल’ सिख और पंजाबी लोग आपस में मिलने पर या किसी भी व्यक्ति से मिलने पर मिलते हैं तो बोलते हैं। सत श्री अकाल सिखों द्वारा पूरे संसार में इस अभिवादन का प्रयोग एक दूसरे से मिलने के लिए किया जाता है। चाहे वह विदेश में कहीं भी रह रहे हो और कोई भी भाषा बोल रहे हों।
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