सत्य की जीत खंड का केक की प्रमुख घटना का वर्णन अपने शब्दों में कीजिए
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अथवा ‘सत्य की जीत’ खण्डकाव्य की प्रमुख घटना का उल्लेख कीजिए।
अथवा सत्य की जीत खण्डकाव्य की किसी प्रमुख घटना का परिचय दीजिए।
अथवा ‘सत्य की जीत’ खण्डकाव्य का कथानक (कथावस्तु) संक्षेप में लिखिए।
अथवा ‘सत्य की जीत’ खण्डकाव्य की कथा महाभारत के द्रौपदी के चीर-हरण की संक्षिप्त, किन्तु मार्मिक घटना पर आधारित है।
सिद्ध कीजिए।
अथवा ‘सत्य की जीत’ खण्डकाव्य की प्रमुख घटनाओं पर प्रकाश डालिए)
उत्तर प्रस्तुत खण्डकाव्य की कथा ‘महाभारत’ के द्रौपदी चीर-हरण की अत्यन्त संक्षिप्त, किन्तु मार्मिक घटना पर आधारित है। यह एक अत्यन्त लघु काव्य है, जिसमें कवि ने पुरातन आख्यान को वर्तमान सन्दर्भो में प्रस्तुत किया है। दुर्योधन पाण्डवों को द्यूतक्रीड़ा के लिए आमन्त्रित करता है और छल प्रपंच से उनका सबकुछ छीन लेता है। युधिष्ठिर जुए में स्वयं को हार जाते हैं। अन्त में वह द्रौपदी को भी दाँव पर लगा देते हैं और हार जाते हैं। इस पर कौरव भरी सभा में द्रौपदी को वस्त्रहीन करके अपमानित करना चाहते हैं।
दुःशासन द्रौपदी के केश खींचते हुए उसे सभा में लाता है। द्रौपदी के लिए यह अपमान असह्य हो जाता है। वह सभा में प्रश्न उठाती है कि जो व्यक्ति स्वयं को हार गया है, उसे अपनी पत्नी को दाँव पर लगाने का क्या अधिकार है? अत: मैं कौरवों द्वारा विजित नहीं हूँ। दु:शासन उसका चीर-हरण करना चाहता है। उसके इस कुकर्म पर द्रौपदी अपने सम्पूर्ण आत्मबल के साथ सत्य का सहारा लेकर उसे ललकारती है और वस्त्र खींचने की चुनौती देती है।
“अरे-ओ! दुःशासन निर्लज्ज!
देख तू नारी का भी क्रोध।
किसे कहते उसका अपमान
कराऊँगी मैं इसका बोध।।”
तब भयभीत दुःशासन दुर्योधन के आदेश पर भी उसके चीर-हरण का साहस नहीं कर पाता। दुर्योधन का छोटा भाई विकर्ण द्रौपदी का पक्ष लेता है। उसके समर्थन से अन्य सभासद भी दुर्योधन और दुःशासन की निन्दा करते हैं, क्योंकि वे सभी यह अनुभव करते हैं कि यदि आज पाण्डवों के प्रति होते हुए अन्याय को रोका नहीं गया, तो इसका परिणाम बहुत बुरा होगा। अन्ततः धृतराष्ट्र पाण्डवों के राज्य को लौटाकर उन्हें मुक्त करने की घोषणा करते हैं।
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