Hindi, asked by mimansha143bankaria, 10 months ago

सत्यमेव जयते पर अनुछेद 150 शब्दों के अंतर्गत लिखिए। Please answer it fast. Useless answers will be reported.

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Answered by PranjalDeval
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सत्यमेव जयते

प्रस्तावना: सत्य मेव जयते भारत का ‘ राष्टीय ‘ आदर्शवाक्य है। जीसका अर्थ है .सत्य की सदैव ही विजय होती है .यह भारत के राष्टीय प्रतीक के निचे देवनागरी लिपि में लिखा गया है। ‘सत्य मेव जयते ‘को राष्टपटल पर लाने उसका प्रचार करने में पंडित मदन मोहन मालवीय की महत्वपूर्ण भूमिका रही थी। वेदांत हमारे ग्रंथो में सत्य और असत्य की कई बाते दर्शाता है। जिसमे सत्य का प्रयोग सृष्टि का मूल तत्व माना जाता है। जिसे परिवर्तन नहीं किया जा सकता है जबकि असत्य हमेशा गलत की पर्वती दर्शाता है।

सत्य मेव जयते का इतिहास: सम्पूर्ण भारत का आदर्श वाक्य ‘सत्य मेव जयते है ‘ इसको भारतीय उत्तर राज्य के उत्तर प्रदेश के वाराणसी के निकट स्थित सारनाथ से 250 ई.पु .में सोर्य सम्राट अशोक के द्वारा बनवाये गए स्तम्भ के शिखर से लिया गया है। पर इस शिखर में ये आदर्श वाक्य नहीं है .सत्य मेव जयते ‘ मूलतः ‘ मुण्डकोपनिषद ‘ का सभी को पता है। ये एक मंत्र है मुण्डकोपनिषद के निम्न शलोक से ( सत्य मेव जयते ) लिया गया है। वो श्लोक इस प्रकार है।

सत्यमेव जयते नानृतं सत्येन पंथा विततो देवयानः।।

येनाक्रमंतयषयो दृत्कामा यत्र सत्यस्य परमं निधानभ।

असल में ये सिर्फ एक वाक्य बन कर रह गया है और इसकी अवहेलना आज के राजनेताओ ने की है जबकि सत्यमेव जयते एक वाक्य ही नहीं ये एक आदर्श है। एक मार्ग है एक जीवन शैली है। एक परम्परा है। जिसमे सर्व भवन्तु सुखिनः की भावना निहित है ये वाक्य इतना बृहद है की इसपे तो एक किताब लिख सकते है। परन्तु इसका पालन करना भी हमारे ही हाथ में है सत्य क्या है। सबको पता है परन्तु बोलना और उसे स्वीकार करना को नहीं चाहता है।

उपसंहार: मेरे अनुसार तो इस वाक्य में ” सत्यमेव जयते ” की मूल भावना को स्वीकार करते हुए अर्थात इसके मूल अर्थ को समझते हुए हमे इसके मूल अर्थ में रहकर अपने कर्तव्यों का पालन करना चाहिए और जो इसका पालन नहीं करता इसका अपमान करता है। इस राष्टीय आदर्श वाक्य का तो वो राष्ट का अपमान करता है .वो राष्ट द्रोही है। उसे कड़ी से कड़ी राष्ट द्रोही को सज़ा होनी चाहिए। सत्यमेव जयते वाक्य की हमेशा विजय होना चाहिए इसकी हार हमारी हार ,हमारे देश की हार ,हमारे राष्ट की हार ,इसलिए इस वाक्य को अपनाना हमारे लिए देश की शान होना चाहिए और इसका अपमान करने वाले के लिए सज़ा वो स्वम् निशचित कर सकता है। क्युकी ये एक वाक्य नहीं है .हमारे लिए हमारे देश का ह्रदय है जो एक छोटे बच्चे जैसा सच्चा होना चागिए।

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Answered by pratibhasharma1406
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Answer:

सत्यमेव जयते भारत का राष्ट्रीय आदर्श वाक्य है, जिसका अर्थ है " सत्य की ही विजय होती है"  यह वाक्य मुंडकोपनिषद त्रतीय के श्लोक छः से लिया गया है:-

सत्यमेव जयते नानृतं सत्येन पंथा विततो देवयानः।

येनाक्रमन्त्यृषयो ह्याप्तकामा यत्र सत्सत्यस्य परमं निधानम् सत्य से ही देवयान मार्ग परिपूर्ण है। इसके द्वारा ही कामना रहित ऋषिगण उसे (परमपद को) प्राप्त करते हैं,  

जहां सत्य के श्रेष्ठ भण्डार-रूप परमात्मा का निवास है।इस वाक्य " सत्यमेव जयते"  को जब भारत के महान सम्राट अशोक ने अपनाया तो उनके मन में जो लालसा जनित क्रूरता थी वो चली गई और उन्होंने शांति का रास्ता अनुसरित किया.   भारत के इतिहास में एक समय फिर आया जब लम्बे संघर्ष और अनगिनत बलिदानों के फलस्वरूप हमे आजादी मिली, आजादी के समय के जो भारतीय विचारक थे उन्होंने इस वाक्य " सत्यमेव जयते" को  एक ऐसे मार्गदर्शक के रूप में देखा जिससे सदियों से प्रताड़ित भारतीय जनों को सुख और शांति मिल सके,  इस वाक्य  "सत्यमेव जयते" को राष्ट्रीय आदर्श वाक्य बनाया गया और इसके पीछे मंशा ये थी कि भारत के  नागरिक सत् मार्ग पर चलेंगे और सुखी रहेंगे, इससे भी बढ़कर देश के शासक वर्ग को ये वाक्य स्मरण  रहेगा कि उनके दायित्व क्या है, " सत्यमेव जयते" के वृहद् विश्लेषण पर मैं नहीं जाना चाहूँगा परन्तु ये अवश्य कहूँगा  इस वाक्य में संपूर्ण मानवता का ज्ञान और मानव  का कल्याण का आधार निहित है, किसी भी देश के संविधान का आधार भी यही वाक्य होता है, इसमें थोडा और प्रकाश डालूँ तो "सत्यम शिवम् सुन्दरम"  जैसे दूसरे वाक्य को देखना चाहिए जिसका अर्थ है "सत्य ही कल्याणकारी है, या शुभ है , और  सत्य ही प्रिय है, या सुन्दर है, और किसी भी राष्ट्र का संविधान उस राष्ट्र के लोगों को सुख, शांति प्रदान करने के लिए होता है, अतः ये स्पष्ट है की संविधान का आधार इसी वाक्य में निहित हैI

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