Self composed song on varsha ritu
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गीत “वर्षा ऋतु”
नभ में घनघोर घटा घिर आई!
बहने लगी अल्हड पुरवाई!
वर्षा ऋतु आई, वर्षा ऋतु आई!!
छैल छबीली वर्षा रानी
यौवन पर है तेरी जवानी!
बादल हो तेरे प्यार में पागल
करने लगा अपनी मनमानी!!
मनुज मन भी लेता अंगडाई
वर्षा ऋतु आई, वर्षा ऋतु आई!!
सजकर किया सोलह श्रृंगार
खिला है तेरा रूप अपार!!
धरा पर मत गिराओ बिजली
खेत डूबे कही आई बाढ़!!
सरि-सिन्धु मिलन को उफनाई
वर्षा ऋतु आई, वर्षा ऋतु आई!!
देख यौवन नाचे मोर
दादुर भी करता है शोर!
अब तो आ जा प्राणप्रिये
पपीहा के आशा की डोर!!
विरहन विरह में गीत सुनाई
वर्षा ऋतु आई, वर्षा ऋतु आई!!
गावत मेघ मस्त मल्हार
झूले महुआ अमुआ डार!
पनघट बगिया गैल अटरिया
निर्झर बहती बतरस धार!!
वसुधा ओढ़ हरी चुनर मुस्काई
वर्षा ऋतु आई, वर्षा ऋतु आई!!
वर्षा ऋतू का अमृत पानी
नव सृजनता की निशानी
नभ जल थल नवांकुरित
नवयुग की कहता कहानी
क्षत्रप हर्षित मन बाजे शहनाई
वर्षा ऋतु आई, वर्षा ऋतु आई
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