Sh. Bal Gangadhar Tilak said, “Swaraj is my birth right and I shall have it.”
in Hindi
Answers
श्री बाल गंगाधर तिलक का कथन था, “स्वराज मेरा जन्म सिद्ध अधिकार है और मैं इसे लेकर रहूँगा I” मेरे अनुसार स्वराज का अर्थ है....
स्वराज मेरा जन्म सिद्ध अधिकार है और मैं इसे लेकर रहूँगा,
यह देश हमारा है, देशवासियों पर अब जुल्म नहीं होने दूंगा I
देशवासियों! ये जमीं तुम्हारी है, ये आसमां तुम्हारा है,
“पूर्ण स्वराज” आबाज उठाकर देश के कोने कोने में जाऊँगा II
कोई किसी से न भेद भाव करे, सब मिलकर अखंड भारत का निर्माण करें,
अपने देश को खुद बनायेंगे आओ मिल कर ये प्रण करें I
अपना देश अपना कानून अपने ही नियम ,
आओ मिलकर ऐसे संविधान का निर्माण करें II
कोई लड़ाई-झगड़ा नहीं, अपना पराया नहीं, सबका सम्मान करें I
आने वाली पीढ़ी हो आजाद, स्वतंत्र आओ ऐसा कुछ निर्माण करें II
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स्वराज मेरा जन्म सिद्ध अधिकार है और मैं उसे लेकर ही रहूँगा’
'बाल गंगाधर तिलक ' के यें उत्तेजित शब्द
आज भी सभी दिशाओं मे गूँज रहीं हैं।
महाराष्ट्र के रत्नगिरी जिलें में 23 जुलाई सन् 1856 को जन्मे श्री बाल गंगाधर तिलक बचपन से ही मेधावी और प्रतिभावान छात्र रहे हैं। केशव गंगाधर तिलक एक समाज सेवक, समाज सुधारक,स्वतन्त्रता सेनानी के रूप में विश्व प्रसिद्ध हुए। बाल गंगाधर तिलक स्वराज आंदोलन के सबसे पहले प्रवर्तक थे। इन्होंने 'केसरी'और 'मराठा' नामक दो पत्रिकाओं का संपादन कर लोगों के दिल और दिमाग में स्वराज की अमिट भूख जगा दी। बाल गंगाधर तिलक 'राष्ट्रीय उग्रवाद' के पिता कहलाते हैं। इसी विचार से यें गांधी जी के पूर्ण अहिंसा आंदोलन से सहमत नही हुए। इनका समर्थन पंजाब के लाला लजपतराय और बंगाल के बिपिन पाल ने बहुधा किया। फलस्वरूप यें बाल -लाल- पाल के संगठित नाम से पहचाने गए। अंग्रेजों के विरुद्ध किए कारनामों के कारण कई बार यें गिरफ्तार हुए। बर्मा के मंडाले कारावास में भेज दिए गए।
बाल गंगाधर तिलक के पिता संस्कृत के पंडित थे। अपने पिता के उच्च गुणों से प्रभावित बाल गंगाधर ने आध्यात्मिक चिंतन व हिन्दु धर्म को प्रचलित कराने हेतु अनेक लेख लिखे।समाज सुधारक के रूप में इन्होने बाल विवाह का विरोध किया। स्त्री शिक्षा को प्रोत्साहन दिया। गणेश पूजा व शिवाजी जयंती जैसे धार्मिक त्योहारों का विस्तार से आयोजन शुरु करवाया जिससे जन साधारण में एकता पनें और अंग्रेजों के खिलाफ़ संग्राम छिड़े। बाल गंगाधर तिलक अथक प्रयासों से लोगों के मान्य बन गए। अब उन्हें 'लोकमान्य तिलक' की उपाधि से भूषित किया गया। इन्होंने अपनी लंबी कारावास जीवन में गीता रहस्य भाष्य भी लिखी जो बहु चर्चित है। इसी समय बाल गंगाधर का स्वास्थ्य बिगड़ने लगा और 1अगस्त सन् 1920 को भारत माता का एक अमूल्य रत्न सदा के लिए विलीन हो गया। स्वराज को साकार होते देखे बिना ही बाल गंगाधर तिलक सपनों में डूब आनंदमय चिर नींद में सो गए। भारत के इतिहास के पन्नों में केशव गंगाधर का नाम सुनहरे अक्षरों में सर्वथा लिखा रहेगा।
जय हिन्द।
Answer:
स्वराज मेरा जन्म सिद्ध अधिकार है और मैं इसे लेकर ही रहूंगा।