शिक्षा में खेलों का ममहतव
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मनुष्य जीवन में खेलों का विशेष महत्व है। इनके बिना मनुष्य स्वस्थ नहीं रह सकता है। इसलिए कहा जाता है कि हर मनुष्य को अपने स्वास्थ्य को बनाए रखने के लिए खेलना चाहिए। शिक्षा में तो इसका महत्व अनदेखा नहीं किया जा सकता है। खेलने से विद्यार्थियों में उपजा तनाव कम होता है। लगातार पढ़ने से उत्पन्न झुंझलाहट भी समाप्त हो जाती है। शिक्षा का मार्ग प्रशस्त होता है। शरीर मज़बूत बनता है। पढ़ाई में मन लगा रहता है। विद्यार्थी आज खेलों के माध्यम से उज्जवल भविष्य भी पा रहे हैं। खेलों को व्यवसाय के रूप में अपनाने से खिलाड़ी देश-विदेश में यश और धन दोनों कमा रहे हैं। इन सब बातों को देखते हुए हम खेलों के महत्व को नकार नहीं सकते हैं।
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खेल हमारे जीवन का महत्त्वपूर्ण हिस्सा है। चाहे वह बच्चा हो या जवान या बुजुर्ग सभी को खेलना अच्छा लगता है। खेलों से स्वस्थ शरीर एवं मन स्वथ्य रहता है। खेलने से हमारे शरीर में स्फूर्ति और ताजगी आती है। यह एक प्रकार का व्यायाम भी है, जो हमारे शरीर को मजबूत और सुगठित बनाता है।
खेल दो प्रकार के होते हैं-बाहरी और भीतरी। अर्थात घर के बाहर खुले मैदान में खेले जाने वाले खेल तथा घर के अंदर खेले जाने वाले खेल। घर के अंदर खेले जाने वाले खेलों में शतरंज, कैरमबोर्ड, लूडो, साँप-सीढी आदि कई प्रकार के खेल आते हैं। कैरमबोर्ड, शतरंज, लूडो जैसे खेलों से हमारा मानसिक विकास होता है।
घर के बाहर खुले मैदान में खेले जाने वाले खेलों से हमारा मानसिक विकास होता है; जैसे फुटबॉल, क्रिकेट, टेनिस, कबड्डी, हॉकी, बास्केटबॉल, गोल्फ आदि। ये खेल अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर खेले जा रहे हैं।
खेलने वाला व्यक्ति कुछ देर के लिए संसार के सारे झंझटों को भूल जाता है, वह निश्चित हो जाता है। इससे काम करने की शक्ति बढ़ती है तथा हमें समूह में काम करने की आदत पड़ती है। खेलों से हमारे अंदर आत्मविश्वास, सहयोग, अनुशासन, साहस, एकता आदि मानवीय गुणों का भी विकास होता है। हमें नए-नए लोगों से मिलने और समझने का अवसर मिलता है।
आज खेल-जगत में प्रसिद्धि के साथ-साथ धन भी खूब कमाया जा रहा है। इसलिए शारीरिक और मानसिक विकास के लिए हमारे जीवन में खेलों का बहुत अधिक महत्त्व है।