शीशा उठाकर ऊंचे बन जाओ तुम भी पर्वत कहां से हैं वाक्य सदा कीजिए
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पर्वत कहता शीश उठाकर पोएम प्रकृति सन्देश parvat kahta sheesh utha ka पर्वत कहता शीश उठाकर, तुम भी ऊँचे बन जाओ। सागर कहता है लहराकर, मन में गहराई लाओ। समझ रहे हो क्या कहती हैं उठ-उठ गिर-गिर तरल तरंग भर लो भर लो अपने दिल में मीठी-मीठी मृदुल उमंग.
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