शीत युद्ध के प्राकृति विचार
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शीत युद्ध द्वितीय विश्व युद्ध के बाद सोवियत संघ एवं उसके आश्रित देशों (पूर्वी यूरोपीय देश) और संयुक्त राज्य अमेरिका एवं उसके सहयोगी देशों (पश्चिमी यूरोपीय देश) के बीच भू-राजनीतिक तनाव की अवधि (1945-1991) को कहा जाता है।
द्वितीय विश्व युद्ध के बाद विश्व दो महाशक्तियों – सोवियत संघ और संयुक्त राज्य अमेरिका के वर्चस्व वाले दो शक्ति समूहों में विभाजित हो गया था।
यह पूंजीवादी संयुक्त राज्य अमेरिका और साम्यवादी सोवियत संघ के बीच वैचारिक युद्ध था जिसमें दोनों महाशक्तियाँ अपने-अपने समूह के देशों के साथ संलग्न थीं।
"शीत" (Cold) शब्द का उपयोग इसलिये किया जाता है क्योंकि दोनों पक्षों के बीच प्रत्यक्ष रूप से बड़े पैमाने पर कोई युद्ध नहीं हुआ था।
इस शब्द का पहली बार इस्तेमाल अंग्रेज़ी लेखक जॉर्ज ऑरवेल ने 1945 में प्रकाशित अपने एक लेख में किया था।
नोट:
शीत युद्ध सहयोगी देशों (Allied Countries), जिसमें अमेरिका के नेतृत्व में यू.के., फ्रांस आदि शामिल थे और सोवियत संघ एवं उसके आश्रित देशों (Satellite States) के बीच शुरू हुआ था।
सोवियत संघ (Soviet Union):
सोवियत संघ को आधिकारिक तौर पर यूनियन ऑफ सोवियत सोशलिस्ट रिपब्लिक (USSR) के रूप में जाना जाता था।
यह विश्व का पहला साम्यवादी (Communist) राज्य था जिसकी स्थापना वर्ष 1922 में की गई थी।
शीत युद्ध के कारण:
द्वितीय विश्व युद्ध में सहयोगी देश (अमेरिका, ब्रिटेन और फ्रांस) और सोवियत संघ ने धुरी शक्तियों (Axis Powers) (नाज़ी जर्मनी, जापान, ऑस्ट्रिया) के विरुद्ध साथ मिलकर संघर्ष किया था। लेकिन विभिन्न कारणों से यह युद्धकालीन गठबंधन द्वितीय विश्व युद्ध के बाद साथ नहीं रह सका।