शिव का धनुष कैसे टूट गया था?
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शिव का जो धनुष था, वह परशुराम ने राजा जनक के यहां अमानत के रूप में सुरक्षित रखा था। उस धनुष को कोई हिला भी नहीं पाता था। केवल सीता ने ही एक दिन उसको हिलाने का कार्य किया था।
जब सीता का स्वयंवर हुआ तो उस धनुष को उठाने की शर्त राजा जनक ने सबके सामने रखी।
शिव का वो धनुष बहुत पुराना और कमजोर हो चुका था। राम ने उसे नया समझकर उस पर प्रत्यंचा चढ़ाकर उसे खींचकर परखना चाहा, लेकिन वह धनुष राम के छूने मात्र से ही टूट गया। इस तरह शिव का धनुष टूट गया, जिसे बड़े बड़े पराक्रमी हिला तक नहीं पाए उसे राम ने एक झटके में हिला दिया और वह टूट भी गया।
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