Hindi, asked by vinaygzp233224, 11 hours ago

शमप्रधानेषु तपोधनेषु गूढं हि दाहात्मकमस्ति तेजः । स्पर्शानुकूला इव सूर्यकान्ता- स्तदन्यतेजोऽभिभवाद् वमन्ति ।।
हिन्दी मे अनुवाद

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Answered by shishir303
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शमप्रधानेषु तपोधनेषु गूढं हि दाहात्मकमस्ति तेजः।

स्पर्शानुकूला इव सूर्यकान्ता- स्तदन्यतेजोऽभिभवाद् वमन्ति ।।

अर्थ ⁝  तपस्वी सांसारिक प्रपंचो से मुक्त एवं अनासक्त रहते है, उनका चित्त शांत रहता है। तथापि वे गुप्त तेज से युक्त होते है। इस कारण वे किसी के द्वारा तिरस्कृत होने पर इस गुप्त तेज को प्रकट करते है। बिल्कुल उसी प्रकार जिस प्रकार सूर्यकांत मणि स्वयं तेज से युक्त होने के बावजूद सूर्य के तेज से प्रदीप्त होता है, उसी प्रकार तपस्वी अपने तिरस्कार का बदला के लिए के अपनी संत प्रवृत्ति का परित्याग करके अपने तेज को प्रकट करके अपने अपमान का बदला लेते हैं।

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