Story on karat karat abhyas ke jamit hot sujan
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Hiii,
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एक बड़े शहर में एक बड़े-से घर में एक लड़की रहती थी जिसका नाम तारा था। तारा के माता-पिता बहुत अमीर थे और जो भी तारा को चाहिए होता वे उसे अवश्य देते थे। वह अच्छे से अच्छे कपड़े पहनती थी । पर तारा की ज़रुरतों को पूरी कराने और उसे सर्वोत्तम साधन उपलब्ध कराने के लिए तारा के माता-पिता बहुत काम करते थे और तारा के पास घर में बहुत थोड़े समय के लिए रहते थे। यानि कि उनके पास तारा के साथ समय बिताने के लिए समय न था इसलिए तारा मूर्ख और शैतान बन गई थी। पर वह तो सोचती थी कि वह कुछ भी कर सकती थी। उसे अपने पर पूरा भरोसा था और यह भी यकीन था कि उसकी किसी बात का माता-पिता को पता नहीं चलेगा।तारा एक बड़ी पाठशाला में पढ़ने जाती थी। उसके बहुत सारे दोस्त थे। सारे दोस्तों के माता-पिता भी अमीर थे। तारा की आदतें अच्छी नहीं थीं। वह दिन पर दिन बिगड़ती जा रही थी । वह कक्षा में कभी भी नहीम सुनती थी और अपना गृहकार्य समय पर नहीं देती थी। वह बहुत लापरवाह हो गई थी। जब परीक्षा होती थी तो वह एक दिन पहले या फिर पाठशाला में आते वक्त बस में ही पढ़ती थी। इस कारण उसके अंक बहुत कम आते थे पर इस सबका कुछ भी असर उस पर नही पड़ता था। उसे लगता था कि वह तो अपने माता-पिता के पैसे पर ही पूरी ज़िंदगी बिता सकती है।
पर एक दिन तारा की माता को उसकी पाठशाला में हेडमास्टर के साथ बात करने के लिए बुलाया गया। जब तारा को यह पता चला तो वह परेशान हो गई । उसे समझ नहीं आया कि अब वह क्या करे?
हेडमास्टर ने तारा की माता से पूछा कि तारा के अंक इतने बुरे क्यों आए हैं? पर दोनों ही अथवा तारा के माता-पिता को पता नहीं था कि ऐसा क्यों हो रहा है? तारा की माता ने कहा कि वह तारा से इस बारे में बात करेगी और उसे पढ़ाई की महत्ता के बारे में बताएगी। घर में तारा भी सोच रही थी कि थोड़ा-सा अभ्यास करके वह अच्छे अंक ला सकती है। उसकी माता जी ने घर आकर तारा से बात की और अंत में तारा ने कहा कि वह अभी से ही काम अच्छी तरह से करेगी क्योंकि उसे पता चल गया था कि लगातार थोड़ी और मेहनत और वक्त के साथ वह अच्छी तरह काम कर पाएगी।
अगली परीक्षा में उसने बहुत मेहनत की। परीक्षा से एक हफ्ते पहले ही उसके माता-पिता ने भी अपने काम से छुट्टी लेकर घर पर रहकर उसको पढ़ाई में मदद की। उस परीक्षा में उसे अच्छे अंक प्राप्त हुए। और अगली परीक्षा में तो उसे उस से भी अच्छे अंक प्राप्त हुए। इस तरह तारा को पता चल गया कि "करत-करत अभ्यास कर जड़मति होत सुजान।" अथवा अभ्यास करने से मूर्ख भी विद्वान हो सकते हैं।
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THANKS
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एक बड़े शहर में एक बड़े-से घर में एक लड़की रहती थी जिसका नाम तारा था। तारा के माता-पिता बहुत अमीर थे और जो भी तारा को चाहिए होता वे उसे अवश्य देते थे। वह अच्छे से अच्छे कपड़े पहनती थी । पर तारा की ज़रुरतों को पूरी कराने और उसे सर्वोत्तम साधन उपलब्ध कराने के लिए तारा के माता-पिता बहुत काम करते थे और तारा के पास घर में बहुत थोड़े समय के लिए रहते थे। यानि कि उनके पास तारा के साथ समय बिताने के लिए समय न था इसलिए तारा मूर्ख और शैतान बन गई थी। पर वह तो सोचती थी कि वह कुछ भी कर सकती थी। उसे अपने पर पूरा भरोसा था और यह भी यकीन था कि उसकी किसी बात का माता-पिता को पता नहीं चलेगा।तारा एक बड़ी पाठशाला में पढ़ने जाती थी। उसके बहुत सारे दोस्त थे। सारे दोस्तों के माता-पिता भी अमीर थे। तारा की आदतें अच्छी नहीं थीं। वह दिन पर दिन बिगड़ती जा रही थी । वह कक्षा में कभी भी नहीम सुनती थी और अपना गृहकार्य समय पर नहीं देती थी। वह बहुत लापरवाह हो गई थी। जब परीक्षा होती थी तो वह एक दिन पहले या फिर पाठशाला में आते वक्त बस में ही पढ़ती थी। इस कारण उसके अंक बहुत कम आते थे पर इस सबका कुछ भी असर उस पर नही पड़ता था। उसे लगता था कि वह तो अपने माता-पिता के पैसे पर ही पूरी ज़िंदगी बिता सकती है।
पर एक दिन तारा की माता को उसकी पाठशाला में हेडमास्टर के साथ बात करने के लिए बुलाया गया। जब तारा को यह पता चला तो वह परेशान हो गई । उसे समझ नहीं आया कि अब वह क्या करे?
हेडमास्टर ने तारा की माता से पूछा कि तारा के अंक इतने बुरे क्यों आए हैं? पर दोनों ही अथवा तारा के माता-पिता को पता नहीं था कि ऐसा क्यों हो रहा है? तारा की माता ने कहा कि वह तारा से इस बारे में बात करेगी और उसे पढ़ाई की महत्ता के बारे में बताएगी। घर में तारा भी सोच रही थी कि थोड़ा-सा अभ्यास करके वह अच्छे अंक ला सकती है। उसकी माता जी ने घर आकर तारा से बात की और अंत में तारा ने कहा कि वह अभी से ही काम अच्छी तरह से करेगी क्योंकि उसे पता चल गया था कि लगातार थोड़ी और मेहनत और वक्त के साथ वह अच्छी तरह काम कर पाएगी।
अगली परीक्षा में उसने बहुत मेहनत की। परीक्षा से एक हफ्ते पहले ही उसके माता-पिता ने भी अपने काम से छुट्टी लेकर घर पर रहकर उसको पढ़ाई में मदद की। उस परीक्षा में उसे अच्छे अंक प्राप्त हुए। और अगली परीक्षा में तो उसे उस से भी अच्छे अंक प्राप्त हुए। इस तरह तारा को पता चल गया कि "करत-करत अभ्यास कर जड़मति होत सुजान।" अथवा अभ्यास करने से मूर्ख भी विद्वान हो सकते हैं।
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I hope this may help u
I'm new in this website
I wrote it especially for all ur queries
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