summary of girgit chapter
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गिरगिट पाठ मशहूर रूसी लेखक चेखव की रचना है जिसमें उन्होंने उस समय की राजनितिक स्थितियों पर करारा व्यंग्य किया है. बड़े अधिकारीयों के तलवे चाटने वाले पुलिसवाले कैसे आम जनता का शोषण करते हैं इसे बड़े ही सुन्दर ढंग से चित्रित किया गया है. एक नागरिक को कुत्ते के कट लेने पर पहले तो पुलिस इंस्पेक्टर कुत्ते के खिलाफ बोलता है लेकिन जैसे ही उसे पता चलता है की कुत्ता बड़े अफसर का है तो तुरंत पलटी मार कर कुत्ते के पक्ष में बोलने लगता है. उसके बाद तो कहानी पूरी तरह अपने नाम को सार्थक करती नज़र आती है. लोगों की बातों के अनुसार जिस प्रकार पल-पल में वह रंग बदलता है उसे देखकर तो गिरगिट को भी शर्म आ जाये. लेकिन वह इतना ढीठ है की उस पर किसी बात का कोई असर नहीं होता और वह अंत तक केवल रंग ही बदलता रहता है. जनता के दुःख दर्द से उसे कोई लेना देना नहीं होता
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