summary of kafan by munshi premchand in hindi
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प्रेमचंद द्वारा लिखित कहानी “कफन” का सारांश
‘मुंशी प्रेमचंद’ ने अपनी कहानी “कफन” माध्यम से समाज में निर्धन वर्ग की दयनीय स्थिति का खाका प्रस्तुत किया है। वो निर्धन वर्ग जिसे दो समय की रोटी जुटा पाना मुश्किल हो जाता है, भूख और गरीबी के कारण उनमें अपने रिश्तों-नातों के प्रति संवेदना खत्म हो जाती है। लगातार बेरोजगार रहने के कारण उनमें काहिली और कामचोरी की आदत भी आ जाती है।
प्रेमचंद का इस कहानी से माध्यम से ये संदेश देने का प्रयत्न किया है कि जब तक समाज में व्याप्त असमानता खत्म नही होगी, गरीबों का शोषण बंद नही होगा, उनकी गरीबी दूर नही होगी, तब तक उनमें व्याप्त संवेदनहीनता का भाव खत्म नही होगा।
इस कहानी के दो मुख्य पात्र हैं, जो पिता पुत्र हैं। उनका नाम घीसू और माधव है। वे अपनी कमजोरी और आलस के कारण पूरे गांव में बदनाम हैं। वे बेहद निर्धन हैं और उनकी निर्धनता का एक कारण उनकी कामचोरी और आलस भी है। उनका यह काहिलपन समाज में व्याप्त असमानता के कारण उत्पन्न हुआ और उनकी इसी निर्धनता ने उन्हें बेहद संवेदनहीन भी बना दिया है। संवेदन हीनता का आलम ये है कि उन्हे केवल अपनी भूख और दारू की चिंता रहती है। घर कोई बीमारी इससे उन्हे कोई फर्क नही पड़ता। घीसू के बेटे माधव की पत्नी बुधिया प्रसव पीड़ा से छटपटा रही है, लेकिन माधव को अपनी पत्नी के की पीड़ा की कोई चिंता नही है। वो अपने बाप घीसू के साथ भुने हुए आलू खाने में व्यस्त है। क्योंकि वह आलू खाने का लोभ नहीं छोड़ पाता। उसे डर है कि यदि वह भुने हुए आलू छोड़कर अपनी बीवी को देखने जाएगा तो उसका बाप सारे आलू खा जाएगा। उनकी निर्धनता के कारण उन्हें कभी-कभी ही दो-तीन दिन में एक बार खाने को मिल पाता है। इस कारण जो भी उन्हें खाने का अवसर मिला है वह उस अवसर को चूकना नहीं चाहते, चाहे इसके लिए माधव की बीवी के प्राणों पर संकट ही क्यों ना आ पड़ा हो। उनकी भूख और गरीबी ने उन्हें बेहद संवेदनहीन बना दिया है। माधव की बीवी बुधिया अंदर प्रसव वेदना से चिल्लाती रह जाती है, तड़पती रह जाती है, लेकिन माधव पर कोई असर नही होता है। उसे पहले भुने हुए आलू खाने हैं। अंत में परिणाम ये होता है कि माधव की बीवी समय पर उचित उपचार न मिलने के कारण पीड़ा से अपने प्राण त्याग देती है।
संवेदनहीन पिता-पुत्र के पास बुधिया की लाश को पहनाने के लिये कफन खरीदने तक को पैसे नही हैं। गाँव वाले उनको कफन खरीदने के लिये पैसे की मदद करते है, पर उन दोनों की संवेदनाहीनता का आलम ये है कि वे लोग उन कफन के पैसों को भी शराब पर खर्च कर देते हैं।
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