Hindi, asked by jyoti8544, 1 year ago

Summary of karn ka Mitra prem by Dinkar I’m Hindi

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Answered by jitekumar4201
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Summary of karn ka Mitra prem

कर्ण-चरित के उद्धार की चिन्ता इस बात का प्रमाण है कि हमारे समाज में मानवीय गुणों की पहचान बढ़नेवाली है। कुल और जाति का अहंकार विदा हो रहा है। आगे, मनुष्य केवल उसी पद का अधिकारी होगा जो उसके अपने सामर्थ्य से सूचित होता है, उस पद का नहीं, जो उसके माता-पिता या वंश की देन है। इसी प्रकार, व्यक्ति अपने निजी गुणों के कारण जिस पद का अधिकारी है, वह उसे मिलकर रहेगा, यहाँ तक कि उसके माता-पिता के दोष भी इसमें कोई बाधा नहीं डाल सकेंगे। कर्णचरित का उद्धार एक तरह से, नयी मानवता की स्थापना का ही प्रयास है और मुझे सन्तोष है कि इस प्रयास में मैं अकेला नहीं, अपने अनेक सुयोग्य सहधर्मियों के साथ हूँ।  कर्ण का भाग्य, सचमुच, बहुत दिनों के बाद जगा है। यह उसी का परिणाम है कि उसके पार जाने के लिए आज जलयान पर जलयान तैयार हो रहे हैं। जहाजों के इस बड़े बेड़े में मेरी ओर से एक छोटी-सी डोंगी ही सही।

Answered by kkaasshhiisshh90
2

Answer:

bekundh kechRno par rakhne se kya mTlab h

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