Hindi, asked by navalbansal, 1 year ago

summary of sakhi of Hindi class 10​

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Answered by ramanshankar003
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Answered by Anonymous
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Answer: "साखी" कबीर जी की अन्य रचनाओं में से एक सुन्दर रचना है। कबीर जी कहते हैं कि हमे ऐसी वाणी बोलनी चाहिए जिससे हमारा घमंड ना झलकता हो। इससे हमारे मन को शांति मिलेगी और सुनने वाले को भी शांति की महसूस होगी। जिस प्रकार कस्तूरी हिरण के नाभि में होती है जिसकी खोज में वह जंगल में घूमता रहता है ठीक उसी प्रकार मनुष्य भी अपने हृदय में बसे ईश्वर को ना देखकर उसे अन्य जगह ढूँढता रहता है। जब तक मनुष्य के ह्रदय में अहंकार का वास रहेगा तब तक उसे ईश्वर की प्राप्ति होना असंभव है।

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Explanation: पहले पर में कवि कबीर दास जी की साखी के माध्यम से मीठी वाणी बोलने का महत्व बताते हुए कह रहे हैं कि हमें ऐसी वाणी बोली चाहिए जो हमारे दिल के अहंकार को मिटा दें और हमारे शरीर को भी शीतलता प्रदान करें तथा सुनने वाले को भी मानसिक शांति मिले

दूसरे पद में कवि कबीर दास जी कहना चाहते हैं कि कस्तूरी हिरण की नाभि में ही होता है परंतु उसे जंगल में  खोजता फिरता है यही स्थिति मनुष्य की है ईश्वर तो मनुष्य के कान में निवास करता है परंतु मनुष्य उसे मंदिर और मस्जिदों में ढूंढता रहता है

तीसरे पद में कवि कबीर दास जी हमें यह कहते हैं कि उनके अंदर अहंकार था घमंड था तब तक उन्हें ईश्वर की प्राप्ति नहीं हुई जब उनके अंदर अहंकार मिट गया तो ईश्वर की प्राप्ति हो गई उन्होंने  अहंकार अज्ञात गया और मनुष्य को अपने जीवन में नहीं करना चाहिए

पेपर में बिरहा रुपीस सर हमारे शरीर में निवास करता है तब उस पर किसी प्रकार का मंत्र रूबी उपाय काम नहीं करता इस प्रकार ईश्वर के युग में मनुष्य जीवित नहीं रह सकता यदि वह जीवित रहता है तो उसकी मानसिक स्थिति पागलों जैसी होती है अतः मनुष्य को अपने जीवन में कभी घबराना नहीं चाहिए बल्कि संकट के समय ईश्वर की उपासना करनी चाहिए

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