Hindi, asked by beroybhavary, 1 year ago

Summary of the lesson rid ki haddi

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Answered by ShinYJanhabi
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'रीढ़ की ह़ड्डी' नाटक का नाम लेखक ने बिलकुल सही दिया था। मनुष्य के जीवन में मान-सम्मान उसके लिए अति आवश्यक है। मान-सम्मान ही उसे समाज में गर्व से खड़ा रखता है व समाज के सम्मुख स्थान दिलाता है, उसका मान-सम्मान उसकी रीढ़ की हड्डी के समान होता है। उमा ने शंकर के इसी मान-सम्मान विहिन जीवन पर प्रहार किया है। शंकर एक बिगड़ा हुआ लड़का था। पढ़ाई के स्थान पर लड़कियों के होस्टल में घुस जाना व वहाँ पर अपमानित होकर भगा दिया जाना शर्म की बात थी। एक लड़की ऐसे पति की कल्पना भी नहीं कर सकती थी। उमा ने शंकर के इसी तथ्य को उजागर कर उसे रीढ़ की हड्डी से विहिन बताया है। इस नाटक के नाम की सार्थकता इसी बात से सिद्ध होती है।

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Answered by bhatiamona
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रीढ़ की हड्डी पाठ का सारांश

रीढ़ की हड्डी पाठ जगदीशचन्द्र माथुर द्वारा लिखी गई है| पाठ में लड़कियों को शादी के लिए भेड़ बकरियों की तरह उन्हें पहले परखा जाता है| लड़कों के दोषों को न देखकर लड़की के गुण पर दोषों की छानबीन की जाती है|

कहानी में उमा के विवाह के लिए गोपाल और उनके पुत्र शंकर देखने घर आते है| उमा एक पढ़ी लिखी हुई लड़की थी| उमा के पिता रामस्वरूप अपनी पुत्री की उच्च शिक्षा को छिपाते है| जब उमा सब के सामने आई तब , गोपाल हैरान हो जाते है| उमा लड़कियों को भेड़-बकरी की तरह मानने वाले गोपाल को बहुत सुनती है| उमा उनके बेटे शंकर का लड़कियों के छात्रावास के चक्कर काटने की आदत के बारे में सब को बता देती है| वह कहती है शंकर छात्रावास के चक्कर लगाने के कारण वह बुरी तरह पिट चुके है , जिसके कारण उनकी रीढ़ की हड्डी की टूट गई है| वह बड़ी मुश्किल से अपनी जान बचा सके थे| गोपाल यह सब सुन कर अपना संतुलन खो बैठता है| शंकर की यह सुनकर हैरान रह जाता है| इस प्रकार यह नाटक खत्म हो जाता है|

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