Hindi, asked by Auliya, 1 year ago

Summary of the story " bade ghar ki beti" by Munshi Premchand.

Answers

Answered by naviarora
14

बेनी माधव सिंह गौरीपुर गांव के जमींदार और नंबरदार थे। उनके पिता किसी समय बड़े आदमी थे। धन की कोई कमी न थी। गांव का पक्का तालाब और मंदिर उन्होंने बनवाया था।

कहते हैं, इस दरवाजे पर हाथी झूमता था, अब उसकी जगह एक बूढ़ी भैंस थी, जिसके शरीर में अस्थि-पंजर के सिवा और कुछ न रहा था; पर दूध शायद बहुत देती थी; इसलिए एक-न-एक आदमी हांडी लिए उसके सिर पर सवार रहता था। 

बेनीमाधव सिंह अपनी आधी से अधिक संपत्ति वकीलों को भेंट कर चुके थे। उनकी वर्तमान आय एक हजार रुपये सालाना से अधिक न थी। 

ठाकुर साहब के दो बेटे थे। बड़े का नाम श्रीकंठ सिंह था। उसने बहुत दिनों के परिश्रम के बाद बी.ए. की डिग्री हासिल की थी। अब एक दफ्तर में नौकर था। छोटा लड़का लालबिहारी सिंह दोहरे बदन का, सजीला जवान था। भरा हुआ मुखड़ा चौड़ी छाती। भैंस का दो सेर ताजा दूध वह उठकर सवेरे पी जाता था। 

श्रीकंठ सिंह की दशा बिल्कुल उल्टी थी। वह बड़ा मेहनती था। बी.ए. की पढ़ाई ने उसको जीने का अवसर दिया था। वैद्यक ग्रंथों को पढ़ना उसे बड़ा पसंद था। 
आयुर्वेदिक दवाइयों पर उसका अधिक विश्वास था ! शाम-सवेरे उनके कमरे में प्राय: खरल की सुरीली ध्वनि सुनाई दिया करती थी। लाहौर और कलकत्ते के वैद्यों से बड़ी लिखा-पढ़ी रहती थी।


Auliya: Pls give the full summary and moral of the story.
Answered by harsh112233445
0

Answer:

स कहानी के माध्यम से लेखक ने स्पष्ट किया है कि किसी भी घर में पारिवारिक शांति और सामंजस्य बनाए रखने में घर की स्त्रियों की अहम् भूमिका होती है। घर की स्त्रियों अपनी समझदारी से टूटते और बिखरते परिवारों को भी जोड़ सकती है।

Similar questions