Hindi, asked by sakruthi1004, 1 year ago

Surdas ke sanyog shringar ras ke pad in hindi

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Answered by mchatterjee
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कहा करौ बैकुठहि जाय ?जहँ नहिं नन्द, जहाँ न जसोदा,नहिं जहँ गोपी ग्वाल न गाय ।जहँ नहिं जल जमुना को निर्मलऔर नहीं कदमन की छाँय ।परमानन्द प्रभु चतुर ग्वालिनी,ब्रजरज तजि मेरी जाय बलाय ।कुछ पदों के भाव भी बिल्कुल मिलते हैं, जैसे –अनुखन माधव माधव सुमिरइत सुंदर भेलि मधाई ।ओ निज भाव सुभावहि बिसरल अपने गुन लुबधाई ।।भोरहि सहचरि कातर दिठि हेरि छल छल लोचन पानि ।अनुखन राधा राधा रटइत आधा आधा बानि ।।राधा सयँ जब पनितहि माधव, माधव सयँ जब राधा ।दारुन प्रेम तबहि नहिं टूटत बाढ़त बिरह क बाधा ।।दुहुँ दिसि दारु दहन जइसे दगधइ,आकुल कोट-परान ।ऐसन बल्लभ हेरि सुधामुखि कबि विद्यापति भान ।।
Answered by bhatiamona
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श्रृंगार रस के दो भेद होते हैं –

श्रृंगार रस में स्थाई भाव रति होता है इसके अंतर्गत सौन्दर्य, प्रकृति, सुन्दर वन, वसंत ऋतु, पक्षियों का चहचहाना आदि के बारे में वर्णन किया जाता है| श्रंगार रस में सुख की प्राप्ती होती है | श्रृंगार रस में  प्रेम,मिलने, बिछुड़ने आदि जैसी क्रियायों का वर्णन होता है तो वहाँ श्रृंगार रस होता है|

उदाहरण

श्रृंगार रस  में किसी कहानी में जब दो लोगो के प्यार में बिछड़ने के बारे में बताया जाता है |  

इसके अंतर्गत सौन्दर्य, प्रकृति, सुन्दर वन, वसंत ऋतु, पक्षियों का चहचहाना आदि के बारे में वर्णन किया जाता है|  

श्रृंगार रस के दो भेद होते हैं –

(क) संयोग श्रृंगार  (ख) वियोग श्रृंगार ।  

(क) संयोग श्रृंगार : जहाँ नायक और नायिका  के बीच परस्पर मेल-मिलाप और प्रेमपूर्ण वातावरण होता है  , वहाँ संयोग श्रृंगार होता है ।

स्थायी भाव - रति

संचारी भाव - लज्जा , जिज्ञासा ,उत्सुकता आदि ।

(ख) वियोग श्रृंगार ।  

जहाँ नायक और नायिका  के बीच परस्पर दूरी ,विरह अथवा तनाव पूर्ण वातावरण होता है और मिलाप, मिलन  नहीं होता  , वहाँ वियोग श्रृंगार होता है ।

स्थायी भाव  -  रति

संचारी भाव  -  उदासी , दुख, निराशा आदि ।

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