Swasth bharat unnat bharat essay in hindi with some quations
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इंडिया जोकि भारत है, एक प्राचीन सभ्यता है। इसे एक पवित्र राष्ट्र माना जाता है, इसके लोग बहुत धार्मिक है। भारत में विभिन्न धर्मों के लोग रहते है; हिन्दू, मुस्लिम, ईसाई, सिक्ख, पारसी, जैन आदि और वे अपने धर्मों का पूरी निष्ठा से पालन करते है। लेकिन यह हमारे देश की कड़वी सच्चाई है कि सभी स्वच्छता और धर्मपरायणता केवल धार्मिक गतिविधियों और रसोई तक ही सीमित है। हम भारतीय अपने हर तरफ की गंदगी के लिये गंभीर नहीं है, कहीं भी कोई गंदगी का ढ़ेर देख सकता है। अपने आस-पास के वातावरण को साफ और स्वच्छ रखना हमारे व्यवहार में नहीं है। अधिक से अधिक हम अपने घर को साफ रखते है और सड़क, रास्ते, पार्क या सार्वजनिक जगहों के प्रति हम चिंतित हो ये हमारा मसला नहीं है। यहाँ तक कि आजादी के 65 साल बाद भी ये सच में शर्मनाक है कि भारतीय अपने अस्वास्थ्यकर व्यवहार के लिये प्रसिद्ध है।
अभी हाल ही में नई सरकार सत्ता में आई है और उसकी मुख्य प्राथमिकता भारत को स्वच्छ करने में है। और इसी लक्ष्य के लिये सरकार ने एक अभियान की शुरुआत की जिसका नाम है “स्वच्छ भारत अभियान”।
सरकार ने देश के राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी को इस अभियान से जोड़ा है क्योंकि देश में स्वच्छता के कार्यों के वह बड़े समर्थक थे तथा वह अपने पूरे जीवन भर साफ-सफाई और स्वच्छता की गतिविधियों से जुड़े रहे।
स्वच्छ भारत अभियान क्या है ?स्वच्छ भारत आंदोलन: भारत को स्वच्छ बनाने के लक्ष्य के साथ नई दिल्ली के राजघाट पर 2 अक्दूबर 2014 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के द्वारा इस अभियान की शुरुआत हुई। इसका लक्ष्य है 2 अक्दूबर 2019 तक हर परिवार को शौचालय सहित स्वच्छता-सुविधा उपलब्ध कराना है, ठोस और द्रव अपशिष्ट निपटान व्यवस्था, गाँव में सफाई और सुरक्षित तथा पर्याप्त मात्रा में पीने का पानी उपलब्ध हो। ये भारत के राष्ट्रपिता को उनके 150वें जन्मदिवस पर सबसे उपयुक्त श्रद्धांजलि होगी। ये बहुत महत्वपूर्ण है कि इस अभियान को सफल बनाने के लिये प्रधानमंत्री स्वयं अग्रसक्रिय भूमिका निभा रहे है; राजघाट पर उन्होंने खुद सड़कों को साफ कर इस मुहिम की शुरुआत की।
जबकि, ये पहले ही निर्धारित कर दिया गया है कि ये अभियान केवल सरकार का कर्तव्य नहीं है बल्कि राष्ट्र को स्वच्छ बनाने की की जिम्मेदारी इस देश के सभी नागरिकों है ।
स्वच्छ भारत अभियान का इतिहासस्वच्छ भारत आंदोलन की मुहिम आज तक स्वच्छता से संबंधित लिया गया एक बड़ा कदम है। इस अभियान को विश्वस्तर पर प्रसिद्ध करने के लिये तथा आम जनता को इसके प्रति जागरुक करने के लिये स्कूलों तथा कॉलेज के विद्यार्थीयों सहित लगभग 3 लाख सरकारी कर्मचारीयों ने इसके प्रारंभ होने के दिन इसमें भाग लिया। 1500 लोगों के मौजूदगी में 2 अक्टूबर 2014 को राष्ट्रपति भवन में इस कार्यक्रम को आयोजित किया गया था। भारतीय राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी ने झंडा दिखाकर इस आंदोलन की शुरुआत की।
इस मुहिम को आगे बढ़ाने के लिये व्यापार, खेल और फिल्म उद्योग से जुड़े नौ प्रसिद्ध व्यक्तियों को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नामित किया। उन्होंने उन नौ व्यक्तियों से निवेदन भी किया कि वे और नौ व्यक्तियों को इस अभियान से जोड़ें और स्वच्छता के इस आंदोलन को देश के कोने-कोने में रहने वाले हर एक भारतीय तक इसे पहुचाऐ।
नरेन्द्र मोदी ने कहा कि इस मुहिम को चुनौती की तरह लेना चाहिये तथा व्यक्तिगत (पेड़ की शाखाओं की तरह) तौर पर दूसरे नौ लोगों को आमंत्रित करना चाहिये जिससे स्वच्छता का ये दृष्टीकोण 2019 तक पूरा हो जाए और इतिहास में हमेशा के लिये भारत एक स्वच्छ देश बने।
इस भारतीय अभियान से प्रेरणा लेकर 3 जनवरी 2015 को, इंडो-नेपाल डॉक्टर एशोसियन ने एक मुहिम की शुरुआत की जिसको “स्वच्छ भारत नेपाल- स्वच्छ भारत नेपाल अभियान” कहा गया। इसकी शुरुआत इंडो-नेपाल बाडर्र क्षेत्र, सुनौली-बेलिहिया (भगवान बुद्ध का जन्म स्थल, पवित्र शहर लुंबिनी,नेपाल) हुई।
भारत में स्वच्छता के दूसरे कार्यक्रम जैसे केन्द्रीय ग्रामीण स्वच्छता कायर्क्रम (सीआरएसपी) का प्रारंभ 1986 में पूरे देश में हुआ जो कि गरीबी रेखा से नीचे के लोगों के व्यक्तिगत इस्तेमाल के लिये स्वास्थयप्रद शौचालय बनाने पर केन्द्रित था। इसका उद्देश्य सूखे शौचालयों को अल्प लागत से तैयार स्वास्थयप्रद शौचालयों में बदलना, खासतौर से ग्रामीण महिलाओं के लिये शौचालयों का निर्माण करना तथा दूसरी सुविधाएँ जैसे हैंड पम्प, नहान-गृह, स्वास्थ्यप्रद, हाथों की सफाई आदि था। यह लक्ष्य था कि सभी उपलब्ध सुविधाएँ ठीक ढंग से ग्राम पंचायत द्वारा पोषित की जाएगी। गाँव की उचित सफाई व्यवस्था जैसे जल निकासी व्यवस्था, सोखने वाला गड्ढा, ठोस और द्रव अपशिष्ट का निपटान, स्वास्थ्य शिक्षा के प्रति जागरुकता, सामाजिक, व्यक्तिगत, घरेलू और पर्यावरणीय साफ-सफाई व्यवस्था आदि की जागरुकता हो।
ग्रामीण साफ-सफाई कार्यक्रम का पुनर्निमाण करने के लिये भारतीय सरकार द्वारा 1999 में भारत में सफाई के पूर्ण स्वच्छता अभियान (टीएससी) की शुरुआत हुई। पूर्ण स्वच्छता अभियान को बढ़ावा देने के लिये साफ-सफाई कार्यक्रम के तहत जून 2003 के महीने में निर्मल ग्राम पुरस्कार की शुरुआत हुई। ये एक प्रोत्साहन योजना थी जिसे भारत सरकार द्वारा 2003 में लोगों को पूर्ण स्वच्छता की विस्तृत सूचना देने पर, पर्यावरण को साफ रखने के लिये साथ ही पंचायत, ब्लॉक, और जिलों द्वारा गाँव को खुले में शौच करने से मुक्त करने के लिये प्रारंभ की गई थी।
निर्मल भारत अभियान की शुरुआत 2012 में हुई थी और उसके बाद स्वच्छ भारत अभियान की शुरुआत 2 अक्टूबर 2014 में हुई। जबकि इसके पूर्व में भारतीय सरकार द्वारा चलाए जा रहे है सभी सफाई-सफाई व्यवस्था और स्वच्छता कार्यक्रम वर्तमान 2014 के स्वच्छ भारत अभियान के जितना प्रभावकारी नहीं थे।
गाँधीजी और साफ-सफाई पर उनके विचारस्वस्थ भारत उन्नत भारत निबंध
Explanation:
भारतीय स्वास्थ्य सेवा क्षेत्र के सामने सबसे बड़ी चुनौती असमानता है जो भारत में अरब से अधिक आबादी के लिए पिरामिड के ऊपर और नीचे के बीच गुणवत्ता स्वास्थ्य सेवा की पहुंच और सामर्थ्य के संदर्भ में मौजूद है।
भारत सरकार और अन्य प्रमुख भारतीय नीति निर्माता अब अपनी आर्थिक विकास यात्रा के एक महत्वपूर्ण महत्वपूर्ण घटक के रूप में "सभी के लिए स्वास्थ्य" सुनिश्चित करने की आवश्यकता के रूप में पहचान कर रहे हैं। यह सार्वभौमिक स्वास्थ्य कवरेज फोकस आबादी के वंचित वर्गों की जरूरतों को पूरा करने का प्रयास करता है।
जबकि ये बेहद चुनौतीपूर्ण समय होते हैं, उन्होंने स्वास्थ्य सेवा के अवसर को भारतीय स्वास्थ्य परिदृश्य के भीतर इस मेगा चुनौती के लिए अभिनव समाधान प्रदान करके बढ़ने और अंतर करने के लिए प्रेरित किया है।
एक फिट बॉडी, शांत दिमाग, प्यार से भरा घर। इन चीजों को खरीदा नहीं जा सकता है - उन्हें अर्जित किया जाना चाहिए।
जीवन में तीन चीजें - आपका स्वास्थ्य, हमारा मिशन, और वे लोग जिन्हें आप प्यार करते हैं।